भारत के आईटी सेक्टर में रोजगार की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक, आईटी कंपनियों में नई भर्तियों में 72 प्रतिशत तक गिरावट आई है, जिससे हजारों पेशेवर बेरोजगार होने की कगार पर हैं। विशेषकर अनुभवी कर्मचारियों को कंपनियों द्वारा अचानक बाहर का रास्ता दिखाने की घटनाओं ने इस संकट को और गंभीर बना दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आईटी उद्योग में यह संकट कई कारणों से उत्पन्न हुआ है। वैश्विक आर्थिक मंदी, विदेशी परियोजनाओं में कटौती, और ऑटोमेशन तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते उपयोग ने रोजगार की मांग को प्रभावित किया है। इसके अलावा, कुछ कंपनियों ने लागत कम करने के लिए बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी भी की है।
आईटी पेशेवरों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। कई युवाओं और अनुभवी कर्मचारियों को नौकरी खोने के बाद नई अवसरों की तलाश में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई अनुभवी प्रोजेक्ट मैनेजर्स, डेवलपर्स और टेस्ट इंजीनियर बिना किसी पूर्व चेतावनी के बाहर किए गए हैं, जिससे उनका वित्तीय और मानसिक दबाव बढ़ गया है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस संकट से उबरने के लिए पेशेवरों को कौशल विकास और नए तकनीकी प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा। क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्र भविष्य में रोजगार के अवसर बढ़ा सकते हैं। कंपनियों को भी नई भर्तियों में संतुलन बनाए रखना होगा और कर्मचारियों के कौशल को अपडेट करने पर जोर देना चाहिए।
सरकारी और निजी स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों और स्किल डेवलपमेंट स्कीमों को तेज करना इस संकट से उबरने का एक अहम रास्ता हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आईटी सेक्टर की छवि और रोजगार के अवसर दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
इस तरह, आईटी सेक्टर में भर्तियों में गिरावट और बेरोजगारी की स्थिति ने उद्योग के लिए चेतावनी की घंटी बजा दी है। अब यह समय है कि कंपनियां और पेशेवर मिलकर इस चुनौती का सामना करें और भविष्य के अवसरों के लिए खुद को तैयार करें।