उज्जैन में मंगलवार को एक महिला की मौत के बाद उसका परिवार न्याय की मांग को लेकर शहर की नामी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा चांदवानी के क्लिनिक के बाहर धरने पर बैठ गया। परिवार का आरोप है कि गर्भवती महिला की मौत डॉक्टर की लापरवाही से हुई है। मृतका के पति दीपेश मालवीय और परिजन क्लिनिक के बाहर पोस्टर लगाकर न्याय की गुहार लगाते दिखे।
दीपेश ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी का गर्भावस्था के पूरे नौ माह तक इलाज डॉ. चांदवानी ने किया। 15 अगस्त को पत्नी की तबीयत बिगड़ने पर पुष्पा मिशन अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। इसके बाद उन्हें अवंति अस्पताल और फिर इंदौर के बॉम्बे अस्पताल ले जाया गया, जहां 16 अगस्त को बेटी को जन्म देने के बाद महिला की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि यदि समय पर सही इलाज मिलता तो उसकी जान बच सकती थी।
धरने के दौरान परिवार ने पोस्टरों पर लिखा कि मुख्यमंत्री से न्याय चाहिए। दीपेश ने आरोप लगाया कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण पत्नी की मौत हुई और अब प्रशासन से मदद की उम्मीद है।
वहीं, डॉ. रेखा चांदवानी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि मृतका का पहला बच्चा भी उनके ही देखरेख में हुआ था और इस बार भी इलाज उन्हीं के पास चल रहा था। 25 या 27 अगस्त डिलीवरी की संभावित तारीख थी, लेकिन मरीज को अचानक 15 अगस्त को अस्पताल लाया गया। उन्होंने तुरंत स्थिति गंभीर देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया।
डॉ. चांदवानी का कहना है कि महिला की मौत के एक माह बाद परिवार ने उनसे बातचीत की और रुपए की मांग भी की। मना करने पर उन्हें धमकाया गया और पुलिस को भी सूचित किया गया। उन्होंने दावा किया कि उनके पास सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूत मौजूद हैं, जिससे सच्चाई साबित हो सकती है।
यह मामला अब शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ओर परिवार न्याय की मांग कर रहा है, तो दूसरी ओर डॉक्टर खुद को निर्दोष बता रही हैं। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि मौत लापरवाही से हुई या परिस्थितियों की मजबूरी से।