शारदीय नवरात्रि की तैयारियों के बीच उज्जैन में गरबा आयोजन को लेकर विवाद बढ़ गया है। आलोट से सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा है कि गरबा पंडालों में केवल वही लोग प्रवेश पा सकेंगे, जिनके पास आधार कार्ड होगा, जिन्होंने तिलक लगाया होगा और हाथ में कलावा बंधा होगा। उन्होंने साफ कहा कि गरबे में दूसरे धर्म के लोगों की जरूरत नहीं है।
सांसद के इस बयान के बाद माहौल गर्म हो गया है। वहीं, आयोजकों ने भी पंडालों में सुरक्षा बढ़ा दी है और प्रवेश पर सख्ती बरती जा रही है। इस बार कुछ पंडालों में युवतियों को तलवार के साथ गरबा खेलने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नागदा में लड़कियों ने इस तरह की प्रैक्टिस भी शुरू कर दी है। आयोजकों का कहना है कि लव जिहाद की घटनाओं को रोकने के लिए यह कदम उठाए गए हैं।
गुजरात की हिंदुवादी नेत्री काजल हिंदुस्तानी ने भी उज्जैन में महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश लव जिहाद का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि पंडालों में आईडी चेकिंग के साथ मोबाइल हिस्ट्री तक देखी जानी चाहिए। काजल ने यह भी कहा कि गरबा में लड़कियों को बैकलेस और डीप-नेक चोली पहनने से बचना चाहिए और पारंपरिक गरबा गीतों पर ही नृत्य करना चाहिए।
उधर, पुलिस और प्रशासन ने गरबा आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है। कई बड़े पंडालों में प्रवेश के लिए पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। आयोजक और स्थानीय लोग मानते हैं कि इससे विवाद और अनचाहे घटनाक्रम पर रोक लगेगी।
सांसद और हिंदुवादी संगठनों के बयानों के बाद गरबा आयोजनों को लेकर प्रदेशभर में चर्चा तेज हो गई है। समर्थकों का कहना है कि इससे हिंदू संस्कृति की रक्षा होगी, वहीं विरोधियों का मानना है कि ऐसे बयानों से सामाजिक विभाजन गहरा सकता है। नवरात्रि शुरू होने से पहले ही इस मुद्दे पर गर्म बहस छिड़ गई है।