करौली: शहर के बीचो-बीच स्थित भगवान मदन मोहन जी का प्राचीन मंदिर देश भर में श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं. यह ब्रजधाम के सात प्रमुख मंदिरों में से एक है. इस मदिर के तार जयपुर के गोविंद देव जी और गोपीनाथ जी मंदिर से भी जुड़े है. मंदिर में भगवान मदन मोहन के साथ राधा रानी और ललिता जी विराजमान हैं. हर वर्ष यहां लाखों भक्त विभिन्न राज्यों से दर्शन के लिए आते है. इस मंदिर में आठ पहरों की पूजा और आठ झाकियों के दर्शन श्रद्धालुओं को कराए जाते है.
मान्यता है कि मदन मोहन जी की प्रतिमा श्रीकृष्ण के पड़पोते वज्रनाभ द्वारा स्थापित की गई. वज्रनाभ को श्रीकृष्ण के दर्शन की इच्छा हुई. उद्धव ने बताया कि जिस शिला पर श्रीकृष्ण स्नान करते थे, उसमें उनका स्वरूप समाहित है। विश्वकर्मा ने उसी शिला से तीन प्रतिमाएं बनाईं मदन मोहन जी, गोपीनाथ जी और गोविंद देव जी की.
मदन मोहन जी की प्रतिमा में श्रीकृष्ण के चरणों की झलक है. गोपीनाथ जी का वक्ष स्थल और गोविंद देव जी का मुखारविंद श्रीकृष्ण जैसा है. इसलिए एक दिन में इन तीनों के दर्शन को संपूर्ण श्रीकृष्ण दर्शनमाना जाता है.
मुगल काल में मंदिरों पर आक्रमण के समय प्रतिमाएं वृंदावन से जयपुर लाई गईं. संवत 1805 में करौली के राजा गोपाल सिंह जयपुर के राजा जयसिंह द्वितीय से अनुमति लेकर मदन मोहन जी की प्रतिमा करौली लाए. कहा जाता है कि परिक्रमा के दौरान प्रतिमा ने स्वयं राजा का हाथ पकड़कर करौली आने का संकेत दिया। तब से मदन मोहन जी यहीं विराजमान हैं.