देश में हाल ही में हुए चीफ जस्टिस बीआर गवई पर हमले के प्रयास ने सभी की चिंता बढ़ा दी है। इस घटना के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद CJI बीआर गवई से संपर्क किया और उन्हें पूरी सुरक्षा और समर्थन का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के घटनाक्रम पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं और हर भारतीय इस हमले से नाराज और परेशान है।
प्रधानमंत्री ने न्यायपालिका के स्वतंत्र और सुरक्षित कार्य संचालन पर इस हमले के प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने CJI गवई से वार्ता में कहा कि देश की न्यायिक प्रणाली को किसी भी प्रकार की हिंसा या धमकी से प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार पूरे देश में न्यायपालिका की सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगी।
इस घटना ने देशभर में न्यायपालिका की सुरक्षा और संवेदनशीलता को लेकर बहस तेज कर दी है। विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक समूहों ने भी हमले की निंदा की और सरकार से न्यायपालिका की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायपालिका के प्रमुख को निशाना बनाना सीधे तौर पर संविधान और लोकतंत्र पर हमला है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
CJI बीआर गवई ने प्रधानमंत्री से बातचीत में इस मामले को गंभीरता से लिया और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर भविष्य में किसी भी संभावित खतरे को रोकने की रणनीति तैयार करने पर चर्चा की। उनके अनुसार, देश की न्यायपालिका को बिना किसी भय या दबाव के अपने निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए।
इस घटना ने नागरिकों और न्यायिक संस्थाओं में सुरक्षा जागरूकता बढ़ा दी है। न्यायपालिका और सरकार दोनों ने स्पष्ट किया कि न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ किसी भी हिंसात्मक या धमकीपूर्ण कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, सुरक्षा एजेंसियां मामले की जांच में जुटी हैं और हमले के पीछे के मकसद और आरोपी की पहचान करने के लिए सभी संवेदनशील कदम उठा रही हैं।
प्रधानमंत्री का संदेश स्पष्ट है कि देश में किसी भी प्रकार की हिंसा या धमकी को स्वीकार नहीं किया जाएगा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सुरक्षा सर्वोपरि है। यह घटना देशभर में कानून और व्यवस्था के महत्व को दोबारा रेखांकित करती है।