छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक और बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को ईडी की टीम रायपुर स्थित कांग्रेस प्रदेश कार्यालय, राजीव भवन पहुंची और संगठन के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदु को केस से संबंधित चालान की कॉपी सौंपी। करीब 10 मिनट की कार्यवाही के बाद अधिकारी वहां से लौट गए।
ईडी की यह कार्रवाई उस केस से जुड़ी है, जिसमें आरोप है कि शराब घोटाले की कमाई से सुकमा में कांग्रेस भवन का निर्माण किया गया। ईडी ने दावा किया है कि इस भवन को 68 लाख रुपए की रकम से बनाया गया, जो कथित तौर पर पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को घोटाले से मिली रिश्वत का हिस्सा थी।
दरअसल, 28 दिसंबर 2024 को ईडी ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबी लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। जांच में सामने आया कि शराब सिंडिकेट से लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे और तीन साल में उन्हें लगभग 72 करोड़ रुपए मिले। इन्हीं पैसों का इस्तेमाल सुकमा कांग्रेस भवन और अन्य संपत्तियों में किया गया।
ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि लखमा शराब सिंडिकेट के अहम सदस्य थे और उनके इशारों पर ही पूरा नेटवर्क काम करता था। जांच में यह भी पता चला कि नकली होलोग्राम के जरिए शराब बेची जाती थी और सरकारी दुकानों तक सप्लाई पहुंचाई जाती थी। इस तरह राज्य सरकार के खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ।
इस मामले में कवासी लखमा 16 जनवरी 2025 से जेल में बंद हैं। ईडी ने अब तक कई संपत्तियां अटैच की हैं, जिनमें रायपुर का उनका बंगला और सुकमा का कांग्रेस भवन शामिल है। कानूनी प्रक्रिया के तहत अटैचमेंट का मतलब है कि संपत्ति का उपयोग तो किया जा सकता है, लेकिन उसे बेचा या ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि ईडी की यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। वहीं पार्टी की कानूनी टीम का कहना है कि चालान की कॉपी मिलने के बाद अब वे इस मामले में उचित जवाब देंगे।
छत्तीसगढ़ का यह शराब घोटाला राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है। विपक्ष लगातार कांग्रेस पर हमलावर है, जबकि कांग्रेस इसे केंद्र सरकार की एजेंसियों का दुरुपयोग बता रही है। आने वाले समय में यह केस प्रदेश की राजनीति को और गर्म कर सकता है।