जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे बच्चे

दंतेवाड़ा जिले में हाल ही में आई बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। बाढ़ की वजह से सड़क और पुल-पुलियों को भारी नुकसान हुआ है। जिले में अब तक 23 पुल बह चुके हैं, जिससे आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस आपदा का सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। बारसूर क्षेत्र के कोरकोटी प्राथमिक और माध्यमिक शाला के छात्र जान जोखिम में डालकर रोजाना स्कूल जा रहे हैं।

रेका गांव के बच्चे पहले बारसूर-चित्रकोट मार्ग पर बने पुल के जरिए स्कूल पहुंचते थे, लेकिन बाढ़ में पुल का एक सिरा बह जाने से यह मार्ग बंद हो गया। मजबूरी में ग्रामीणों ने लकड़ी की बल्लियों और पुराने बिजली के तारों का सहारा लेकर नाले को पार करने का अस्थायी इंतजाम किया है। इन्हीं कमजोर सहारों के जरिए रेका गांव के 20 से ज्यादा बच्चे रोजाना स्कूल जाते हैं।

छठवीं की असवंती और लछनी, सातवीं की संतोषी, दूसरी की समली, तीसरी की दशमी, शिवंती, सूरज और छन्ना जैसे बच्चों ने बताया कि पानी कुछ कम जरूर हुआ है, लेकिन नाला पार करने में डर बना रहता है। अगर थोड़ी भी चूक हो जाए तो वे सीधे करीब 20 फीट गहरे नाले में गिर सकते हैं। इसके बावजूद बच्चे पढ़ाई न छूटे, इसलिए खतरे उठाकर स्कूल जाने को मजबूर हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसलिए उन्होंने बल्लियां और तार लगाकर रास्ता बनाया है। बच्चे इन्हें पकड़कर संतुलन बनाते हुए नाले को पार करते हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि बच्चों की जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।

इधर, प्रभावित इलाकों में शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में छुट्‌टी या वैकल्पिक इंतजाम को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है। इससे ग्रामीणों में रोष है और वे प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि बच्चों के लिए सुरक्षित आवागमन और पढ़ाई की व्यवस्था जल्द की जाए।

Advertisements
Advertisement