पवार का आरोप: चुनाव आयोग की जगह BJP दे रही जवाब, बढ़ रहा अविश्वास

‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर शुरू हुई सियासी जंग अब और तेज हो गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) प्रमुख शरद पवार ने भाजपा और सरकार पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी निर्वाचन आयोग से सवाल पूछते हैं, तो आयोग की ओर से कोई जवाब नहीं आता, बल्कि भाजपा नेता और मुख्यमंत्री उसकी सफाई देने लगते हैं। पवार के मुताबिक ऐसा करने से आयोग पर भरोसा कम होता है और लोगों में अविश्वास पैदा होता है।

पुणे में पत्रकारों से बातचीत में पवार ने कहा कि राहुल गांधी और विपक्षी दलों ने आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। संसद में जब यह मुद्दा उठा, तब निर्वाचन आयोग को जवाब देना चाहिए था। लेकिन इसके बजाय भाजपा नेता सामने आ गए। पवार ने चेतावनी दी कि इस रवैये से लोकतंत्र की मूल संस्था पर संदेह गहराता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष बने रहना चाहिए, लेकिन जब सरकार और सत्ताधारी दल उसकी ओर से बोलते हैं तो यह संकेत देता है कि आयोग अपनी भूमिका निभाने में नाकाम हो रहा है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए खतरनाक बताया।

इसी बीच, राहुल गांधी ने भी बीते दिनों आयोग पर करारा हमला बोला था। उन्होंने आरोप लगाया था कि मतदाता सूची से नाम हटाने और जोड़ने में गड़बड़ी की गई है। राहुल ने कहा कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है। उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि वह उन ताकतों को बचा रहे हैं जो लोकतंत्र को नष्ट करना चाहती हैं।

निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन जाकर मतदाता सूची से नाम न तो हटा सकता है और न ही जोड़ सकता है। आयोग का कहना है कि इस तरह की बातें जनता को गुमराह करने के लिए की जा रही हैं।

हालांकि, विपक्ष का तर्क है कि यदि आयोग पूरी पारदर्शिता से काम करता, तो जवाब देने के लिए भाजपा नेताओं को सामने आने की जरूरत ही नहीं पड़ती। शरद पवार और कांग्रेस दोनों का कहना है कि इस मुद्दे ने लोगों के बीच एक अहम सवाल खड़ा कर दिया है—क्या निर्वाचन आयोग वाकई स्वतंत्र है या फिर सत्ताधारी दल के दबाव में काम कर रहा है?

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