बिलासपुर के मस्तूरी रोड पर कार सवार युवकों द्वारा स्टंट और लापरवाही भरी ड्राइविंग के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने निर्देश दिया कि जब्त की गई 18 कारों को कोर्ट की अनुमति के बिना किसी को भी न छोड़ा जाए। कोर्ट ने कहा कि यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली और अमीर-गरीब के बीच भेदभाव को उजागर करता है।
जांच में सामने आया कि हाईवे पर कार सवार 15-20 युवकों ने तेज रफ्तार और खिड़की, सनरूफ पर लटककर स्टंट किए। इस दौरान उन्होंने अन्य राहगीरों की जान को जोखिम में डाला और नेशनल हाईवे पर यातायात जाम की स्थिति पैदा की। कुछ राहगीरों ने इस दृश्य को रिकॉर्ड कर पुलिस को सूचना दी।
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस का प्रकोप केवल गरीब और मध्यम वर्ग पर पड़ता है, जबकि धनी या राजनीतिक समर्थन वाले अपराधियों पर कार्रवाई ढुलमुल होती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि यह उनके लिए सबक बने।
महाधिवक्ता प्रफुल्ल भरत ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराध दर्ज कर स्टंट में शामिल वाहनों को जब्त किया गया और कार मालिकों के ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की गई। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को शपथ पत्र के साथ सूचित करने को कहा कि अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि किसी भी कार को बिना कोर्ट की अनुमति छोड़ा नहीं जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस की वर्तमान कार्रवाई केवल दिखावा है और ऐसे अपराधियों को जीवन भर के लिए सबक सिखाना आवश्यक है।
घटना 17 सितंबर की है, जब कुछ युवक ग्राम लावर स्थित फॉर्म हाउस में जन्मदिन मनाने के लिए जा रहे थे। इस दौरान उन्होंने हाईवे पर कार स्टंट किए, जिससे अन्य यात्री प्रभावित हुए। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी 18 कारों को जब्त कर लिया और स्टंट करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कदम उठाए।
हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद अब पुलिस को स्पष्ट आदेश है कि स्टंट और लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे सड़क पर सुरक्षा और कानून का पालन सुनिश्चित किया जा सके।