ब्रिक्स देशों ने अमेरिका द्वारा लगाए जा रहे उच्च टैरिफ और व्यापार-प्रतिबंधात्मक उपायों पर चिंता जताई है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि इस तरह की नीतियों से ‘ग्लोबल साउथ’ यानी विकासशील और कम विकसित देशों को गंभीर नुकसान हो रहा है। ब्रिक्स के विदेश/अंतरराष्ट्रीय संबंध मंत्रियों ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान अपनी वार्षिक बैठक में इस मसले पर चर्चा की। इस बैठक की अध्यक्षता भारत ने 2026 के लिए की।
बैठक में मंत्रियों ने एकतरफा शुल्क और गैर-शुल्क उपायों के प्रसार पर गंभीर चिंता जताई। उनका कहना था कि ये उपाय वैश्विक व्यापार में बाधा डालते हैं, आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करते हैं और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक गतिविधियों में अस्थिरता बढ़ाते हैं। इससे मौजूदा आर्थिक असमानताएं और बढ़ सकती हैं और वैश्विक आर्थिक विकास की संभावनाएं कमजोर हो सकती हैं।
ब्रिक्स देशों जैसे ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात ने एकतरफा शुल्क और संरक्षणवादी उपायों को वैश्विक व्यापार के लिए खतरा बताते हुए उनका विरोध किया। मंत्रियों ने कहा कि इस तरह की नीतियों से ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के हाशिए पर जाने का खतरा है और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की रक्षा आवश्यक है।
जयशंकर ने कहा कि बढ़ते संरक्षणवाद और शुल्क अस्थिरता से व्यापार प्रवाह प्रभावित हो रहा है, इसलिए ब्रिक्स को बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स का उद्देश्य अशांत विश्व में शांति स्थापना, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन को मजबूत करना है। इसके अलावा, ब्रिक्स को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों में व्यापक सुधार के लिए सामूहिक रूप से आवाज उठानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स सहयोग का अगला चरण प्रौद्योगिकी, नवाचार, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन और सतत विकास पर केंद्रित होगा। बैठक में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा भी की गई, जिसमें 26 लोग मारे गए और कई घायल हुए।
ब्रिक्स देशों का मानना है कि वैश्विक व्यापार की अस्थिरता और अंधाधुंध शुल्क वृद्धि से विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ रहा है और इसे रोकने के लिए सभी देशों को मिलकर बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को सशक्त बनाना होगा।