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भारत ने विकसित किया अत्याधुनिक सूर्या VHF रडार, जिससे बच नहीं पाएंगे दुश्मन के स्टील्थ फाइटर जेट

भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित ‘सूर्या’ VHF रडार का निर्माण किया है जो स्टील्थ फाइटर जेट्स का भी पता लगा सकता है. यह 360 किमी तक की दूरी पर लक्ष्यों का पता लगाता है और 360 डिग्री कवरेज करता है. ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक बेहतरीन उदाहरण, यह रडार भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है और आकाश व QRSAM जैसे सिस्टम के साथ मिलकर और भी प्रभावी होगा. भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को और सुदृढ़ करते हुए स्वदेशी रूप से विकसित सूर्या VHF (वेरी हाई फ्रिक्वेंसी) रडार सिस्टम का सफल निर्माण किया है. बेंगलुरु स्थित अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी लिमिटेड (ADTL) द्वारा 200 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए गए इस रडार को भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।. इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह चीन के J-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान और विंग लूंग जैसे ड्रोन को भी पहचान सकता है.

स्टील्थ विमानों की नहीं चलेगी चालाकी

सूर्या रडार VHF बैंड में काम करता है, जो लंबी तरंगदैर्ध्य का उपयोग करता है. इसी वजह से यह स्टील्थ तकनीक से लैस विमानों की पहचान करने में सक्षम है. पारंपरिक रडार सिस्टम जहां इन विमानों को ट्रैक करने में असमर्थ रहते हैं, वहीं सूर्या रडार इन्हें भी पकड़ने की शक्ति रखता है.

360 किलोमीटर तक की रेंज, 360 डिग्री कवरेज

यह रडार प्रणाली 2 वर्ग मीटर के रडार क्रॉस सेक्शन वाले लक्ष्यों को 360 किलोमीटर तक की दूरी से पहचान सकती है. साथ ही यह प्रति मिनट 10 बार घूमने की क्षमता रखता है, जिससे यह 360 डिग्री का व्यापक कवरेज और पूरी निगरानी करता है.

तेजी से कहीं भी तैनात हो सकता है सूर्या रडार

सूर्या रडार को दो 6×6 हाई-मोबिलिटी वाहनों पर आधारित किया गया है, जिससे इसे किसी भी भौगोलिक परिस्थिति में आसानी से तैनात किया जा सकता है. यह रडार मोबाइल यूनिट के तौर पर कार्य करता है और इसमें कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों की पहचान के लिए 3D रडार तकनीक भी मौजूद है.

मेक इन इंडिया का बेहतरीन उदाहरण

बिना किसी विदेशी तकनीकी सहायता के तैयार किया गया यह रडार भारत की रक्षा तकनीक में बढ़ती आत्मनिर्भरता की तस्वीर है. यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और देश के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

आकाश और QRSAM से जोड़कर बनेगा खतरनाक कॉम्बो

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सूर्या रडार को भारत की स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली जैसे आकाश और QRSAM मिसाइल सिस्टम से जोड़ा जाए, तो यह चीन के स्टील्थ फाइटर J-20 जैसे विमानों के लिए अत्यंत घातक साबित हो सकता है. गौरतलब है कि हाल ही में खबरें आई हैं कि चीन पाकिस्तान को J-20 फाइटर जेट देने की योजना बना रहा है. सूर्या VHF रडार का निर्माण भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रमाण है. यह रडार भारतीय वायुसेना को भविष्य की लड़ाइयों में एक निर्णायक बढ़त दिला सकता है, खासकर तब जब मुकाबला स्टील्थ तकनीक वाले एडवांस्ड फाइटर जेट्स से हो.

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