भोपाल के 90 डिग्री पुल मामले में हाई कोर्ट ने ठेका कंपनी को दी बड़ी राहत

भोपाल के बहुचर्चित कथित 90 डिग्री रेलवे ओवर ब्रिज मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ठेका कंपनी को राहत प्रदान की है। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के उस आदेश को तुरंत रद्द करने का निर्देश दिया, जिसके तहत ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया गया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि “बलि का बकरा बाहर हो गया, अब किसी न किसी का सिर तो कटेगा।” मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

दरअसल, पुल निर्माण का कार्य मेसर्स पुनीत चड्ढा को दिया गया था। 90 डिग्री मोड़ के कथित निर्माण के कारण यह मामला सोशल मीडिया और समाचार चैनलों में चर्चा का विषय बन गया। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने दो मुख्य अभियंताओं समेत सात अभियंताओं को निलंबित कर दिया और ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया। ठेका कंपनी ने इस कार्रवाई को हाई कोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि निर्माण वही किया गया जो पीडब्ल्यूडी के अफसरों द्वारा जारी ड्राइंग के अनुसार था।

पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल के प्रोफेसर से पुल की तकनीकी जांच कराने का आदेश दिया था। जांच में यह पाया गया कि पुल का मोड़ 90 डिग्री नहीं बल्कि 118 से 119 डिग्री के बीच है। इसके बाद कोर्ट ने ठेका कंपनी पर कोई कार्रवाई करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

सरकार ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया। कमेटी की रिपोर्ट में पाया गया कि ब्रिज के मोड़ वाले हिस्से के नीचे रेल पटरी से गुजर रही है और ब्रिज के खंबे निर्धारित दूरी पर नहीं लगाए गए हैं। इसके अलावा राज्य सरकार और रेलवे विभाग के बीच सामंजस्य की कमी भी सामने आई। जांच रिपोर्ट के आधार पर ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया गया था, लेकिन कोर्ट ने बिना सुनवाई के इस कार्रवाई को असंगत माना।

इस निर्णय के बाद ठेका कंपनी को बड़ी राहत मिली है और निर्माण प्रक्रिया की तकनीकी जांच अब उच्च न्यायालय के मार्गदर्शन में पूरी की जाएगी। कोर्ट की यह टिप्पणी और आदेश निर्माण कंपनियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि जांच और कार्रवाई में निष्पक्षता और तकनीकी तथ्यों का ध्यान रखना अनिवार्य है।

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