छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राजधानी रायपुर स्थित राजीव भवन में कांग्रेस की बैठक के दौरान नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने चुप्पी तोड़ते हुए तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया। महंत ने पार्टी नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि नेता अपने-अपने चमचों को संभालकर रखें, क्योंकि यही लोग बाहर जाकर गलत संदेश फैलाते हैं।
जानकारी के मुताबिक, बैठक का मकसद जिलाध्यक्षों और नेताओं को एकजुट करना था। लेकिन अंदर की बातें बाहर आने से माहौल बिगड़ता जा रहा है। महंत ने मीटिंग में साफ कहा कि मैंने समझाइश दी थी, लेकिन बाहर जाकर वही बातें तूल पकड़ लेती हैं। इस पर कई नेताओं के बीच कानाफूसी का दौर भी चला।
इससे पहले पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि कांग्रेस का नेतृत्व भूपेश बघेल करें। इसके जवाब में दीपक बैज ने उन्हें महाज्ञानी नेता करार दिया था। ऐसे बयानों के चलते संगठन के भीतर खींचतान साफ नजर आ रही है। महंत का तंज सीधे-सीधे उन नेताओं और कार्यकर्ताओं पर था जो बैठक की बातें बाहर लीक कर रहे हैं और माहौल खराब कर रहे हैं।
कांग्रेस के भीतर गुटबाजी लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। चुनावी साल में नेताओं के ऐसे बयान और संगठनात्मक बैठक से जुड़ी अंदरूनी बातें बाहर आना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं। महंत के बयान को लेकर अब सियासी गलियारों में चर्चा छिड़ गई है कि आखिर वे किसे कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस को इस वक्त एकजुटता दिखाने की जरूरत है, लेकिन लगातार जारी बयानबाजी और नेताओं के बीच खींचतान पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। खासकर तब जब आने वाले महीनों में प्रदेश में चुनावी गतिविधियां तेज होने वाली हैं।
महंत की इस नसीहत से यह भी संकेत मिलता है कि पार्टी नेतृत्व को आंतरिक अनुशासन बनाए रखने और गुटबाजी पर रोक लगाने के लिए अब और कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह अपने ही नेताओं को नियंत्रित कर संगठन की मजबूती की दिशा में काम करे।