लखनऊ के मोहनलालगंज, नगराम, निगोहां और गोसाईंगंज क्षेत्र में पिछले तीन दशकों से गरीब और दलित वर्ग के लोगों को आर्थिक मदद, मुफ्त राशन और इलाज का लालच देकर ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराया गया। पुलिस जांच में पता चला कि इस दौरान एक हजार से अधिक हिंदू लोगों ने धर्म परिवर्तन किया।
मोहनलालगंज में करीब 500 लोगों के धर्मांतरण की खबरें सामने आईं। जांच में विदेशी फंडिंग, अवैध प्रार्थना स्थल और आरक्षण के दुरुपयोग का खुलासा हुआ। 1980 और 1990 के दशक में इस क्षेत्र में केवल एक चर्च था, लेकिन अब पांच बड़े चर्च और 100 से अधिक प्रार्थना सभा स्थल बन चुके हैं। ये स्थल घरों, खेतों और खलिहानों में संचालित हो रहे हैं। हर रविवार को प्रार्थना सभाएं होती हैं और महीने में दो बार चंगाई सभाओं में प्रोजेक्टर पर यीशु से संबंधित फिल्में दिखाई जाती हैं।
विशेष रूप से अनुसूचित जाति के लोगों को मुफ्त इलाज के प्रलोभन में धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया गया। बीते दो दशकों में 1000 से अधिक एससी हिंदुओं ने ईसाई धर्म अपनाया। क्षेत्र के कई शिक्षण संस्थान भी ईसाई समुदाय द्वारा संचालित हैं, जहां हिंदू छात्रों को कलावा बांधने या टीका लगाने की अनुमति नहीं दी जाती।
एसीपी मोहनलालगंज रजनीश वर्मा ने बताया कि धर्मांतरण के बाद कई लोगों ने मूर्ति पूजन बंद किया, लेकिन आरक्षण का लाभ जारी रखा। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि मलखान नामक व्यक्ति ने दोहरे आधार कार्ड या अन्य दस्तावेज बनाए हैं या नहीं।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिणी) निपुण अग्रवाल ने बताया कि मलखान के बैंक खातों की जांच शुरू की गई है और इस रैकेट को विदेशी फंडिंग मिलने का संदेह है। बुलडोजर चलाने की तैयारी की जा रही है, क्योंकि मलखान ने निगोहां में ग्राम समाज की जमीन पर अवैध प्रार्थना स्थल बनाया था।
पुलिस ने कई गांवों में छापेमारी की और कई धर्मांतरित लोग अपने घरों में फिर से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने लगे। पुलिस अब पूरे नेटवर्क को उजागर करने में लगी हुई है।