छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से भटकते नजर आ रहे हैं। शिक्षण कार्य की जगह वे नेटवर्किंग बिजनेस और हर्बल प्रोडक्ट्स की बिक्री में समय दे रहे हैं। इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, कई शिक्षक स्कूल के समय ऑनलाइन मीटिंग में शामिल होते हैं और हर्बल ड्रिंक के डेमो देने में जुटे रहते हैं। इतना ही नहीं, कुछ शिक्षक पारंपरिक छत्तीसगढ़ी वेशभूषा पहनकर नेटवर्किंग कार्यक्रमों में नृत्य और गायन भी करते हैं। यह सब तब हो रहा है, जब छात्रों को शिक्षा देने की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है।
खुलासा हुआ है कि कई शिक्षकों ने विभागीय नियमों से बचने के लिए अपने परिवार के सदस्यों, खासकर पत्नियों के नाम पर नेटवर्किंग आईडी बनवा रखी है। लेकिन स्थानीय लोगों ने इन गतिविधियों के वीडियो और तस्वीरें शिक्षा विभाग को उपलब्ध करा दी हैं। शिकायत के बाद डीईओ अरविंद मिश्रा ने सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
विभाग ने साफ कहा है कि दोषी शिक्षकों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिक्षक पढ़ाई छोड़कर किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल न हों। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के कामों से छात्रों की पढ़ाई पर सीधा असर पड़ता है और शिक्षा व्यवस्था कमजोर होती है।
स्थानीय लोगों का भी कहना है कि जब सरकारी शिक्षक ही पढ़ाई छोड़ दूसरी गतिविधियों में समय देंगे, तो बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा। ग्रामीण इलाकों में वैसे भी शिक्षा संसाधनों की कमी है, ऐसे में अध्यापकों का गैर-शैक्षणिक कार्यों में शामिल होना चिंता का विषय है।
यह मामला सामने आने के बाद अब शिक्षा विभाग पर दबाव बढ़ गया है कि वह कठोर कदम उठाए और शिक्षकों को उनकी मूल जिम्मेदारी यानी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर केंद्रित करे।