सितंबर 2025 में साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में देखने को मिलेगा। ज्योतिषियों के अनुसार यह ग्रहण आंशिक रूप से भारत में दिखाई देगा। विशेषज्ञों का कहना है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल लागू होता है, जिसे कई लोग धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व देते हैं।
सूर्य ग्रहण 21 और 22 सितंबर के बीच रात और सुबह के समय उत्पन्न होगा। ग्रहण की अवधि और समय अलग-अलग स्थानों के हिसाब से भिन्न होगा। भारतीय मान्यता के अनुसार, ग्रहण से पहले और बाद में विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। इस दौरान भोजन ग्रहण करने से बचना, पवित्र क्रियाओं और पूजा पाठ में ध्यान देना शुभ माना जाता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर अलग-अलग होता है। कुछ लोग ग्रहण के समय शुभ कार्य और यात्रा से परहेज करते हैं। इसके अलावा, ग्रहण के समय चिकित्सा संबंधी सावधानियों को भी महत्व दिया जाता है। ग्रहण का प्रभाव मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है, इसलिए लोग अपने दैनिक कामकाज और यात्रा में सतर्क रहते हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों में आंशिक ग्रहण दिखाई देगा। उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा, जबकि दक्षिण और पूर्वी हिस्सों में इसका दृश्य कम रहेगा। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार ग्रहण के समय बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
सूर्य ग्रहण के दौरान धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करना कई लोगों के लिए अनिवार्य माना जाता है। कई मंदिर और धार्मिक स्थल विशेष पूजा-अर्चना आयोजित करेंगे। इस अवसर पर लोग व्रत, दान और विशेष अनुष्ठान करके अपनी धार्मिक श्रद्धा व्यक्त करेंगे।
ग्रहण के समय लोग न केवल धार्मिक दृष्टि से सतर्क रहते हैं, बल्कि यह खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण घटना है। खगोलविद इस समय सूर्य और चंद्रमा की स्थिति का अध्ययन करते हैं। ग्रहण की जानकारी विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में भी विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण होती है।