उत्तर प्रदेश के मेरठ में तीन मंजिली इमारत के गिरने और इसमें 10 लोगों की मौत के पीछे की बड़ी वजह सामने आई है. 300 वर्ग गज जमीन पर बने इस इमारत में एकमात्र पिलर था और वो पिलर भी गेट के पास लगा था. वहीं पूरी इमारत महज चार इंच की दीवार पर खड़ी थी. बड़ी बात कि इतनी कमजोर दीवार होने के बावजूद इसके ऊपर की मंजिल में एक फ्लोर और बनाने की तैयारी चल रही थी. चूंकि मेरठ में लगातार बारिश हो रही थी. इसकी वजह से मकान की नींव में पानी भर गया. इससे कमजोर हो चुकी दीवारें भरभराकर गिर पड़ी.
शनिवार की शाम को हुए इस हादसे में रविवार की सुबह तक 10 लोगों के शव निकाले जा चुके थे, जबकि अभी भी एक या दो लोग मलबे में फंसे हुए हैं. उन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. पुलिस के मुताबिक इस मकान का ग्राउंड फ्लोर करीब 50 साल पहले बना था. हालांकि बाद में इस फ्लोर पर मकान मालिक अलाउद्दीन ने डेयरी फार्म खोल लिया और अपने रहने के लिए उपर एक फ्लोर बना लिया. अलाउद्दीन के निधन के बाद उसके चार बेटे साजिद, नदीम, नईम, शाकिर डेयरी चलाने लगे.
कमजोर नींव पर ही बनाते गए फ्लोर
वहीं ऊपर रहने की जगह कम पड़ी तो एक फ्लोर और बना लिया. चूंकि शुरू में यह मकान डेयरी के हिसाब से बिना पिलर के बना था. वहीं दीवारें भी महज आधे ईंट की बनी थी. ऐसे में जैसे जैसे ऊपर के फ्लोर बनते गए, दीवार और नींव कमजोर होती चली गई. ये लोग डेयरी से निकलने वाला गोबर एवं अन्य कचरा अपनी दीवार के किनारे जमा कर रहे थे. इधर, चूंकि कई दिन से लगातार बारिश हो रही है, ऐसे में बारिश का पानी इस कचरे में जमा होने लगा और रिसते रिसते मकान की नींव में भर गया. इससे नींव से लेकर दीवारों तक सीलन आ गई थी.
डेयरी की वजह से हादसा
इस सीलन की वजह से एक सप्ताह पहले मकान का एक छोटा हिस्सा धंस भी गया था. हालांकि उस समय परिवार ने उसे इग्नोर कर दिया. इसके बाद पूरा का पूरा मकान ही बैठ गया है. पुलिस के मुताबिक हालात को देखते हुए नगर निगम को अन्य मकानों की भी जांच कराई जा रही है. दरअसल मेरठ में आबादी क्षेत्र में ऐसी ढेर सारे डेयरी खुले हुए हैं. जहां से पशुओं का कचरा या तो नाले में बहाया जा रहा है या फिर अपने मकानों के आसपास जमा किया जा रहा है. इसकी वजह से आए दिन नालियां चोक हो जाती हैं.
बाल बाल बच गए 40 लोग
पुलिस के मुताबिक यह हादसा शनिवार की शाम करीब साढ़े चार बजे हुआ. गनीमत रहा कि यह मकान एक घंटे पहले गिरा और महज 10 लोगों की ही मौत हुई. यदि यही घटना साढ़े पांच बजे होती तो मलबे के अंदर कम से कम 40 लोग दब जाते. पुलिस की जांच में पता चला है कि शाम के साढ़े 5 बजे करीब 35 से अधिक लोग इनके घर दूध लेने के लिए आते थे. अब यह सभी लोग ईश्वर को धन्यवाद दे रहे हैं कि इस हादसे के शिकार होते होते बच गए.