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मार्केट में नहीं हैं 10, 20 और 50 रुपये के नोट, कांग्रेस सांसद ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने 10, 20 और 50 रुपये के नोट की कमी का मुद्दा उठाया है. टैगोर ने कहा है कि मार्केट में इन नोटों की भारी कमी है. इसकी वजह से ग्रामीण और शहरी इलाकों में गरीबों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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कांग्रेस सांसद ने आगे लिखा कि रिपोर्टों से पता चला है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने UPI और डिजिटल ट्रांजेक्शन को प्रमोट करने के लिए इन नोटों (10, 20 और 50 रुपये के नोट) की छपाई बंद कर दी है. इन नोटों की छपाई बंद होने से ग्रामीण इलाकों के उन लोगों को भारी दिक्कत हो रही है, जिनके पास डिजिटल पेमेंट का एक्सेस नहीं है. उनके डेली ट्रांजेक्शन पर प्रबाव पड़ रहा है.

छोटे व्यापारी-स्ट्रीट वेंडर को हो रही दिक्कत

10, 20 और 50 रुपये के नोटों के बंद होने से छोटे व्यापारी, स्ट्रीट वेंडर, डेली वेजेज की कमाई करने वाले लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. टैगोर ने वित्र मंत्री से रिक्वेस्ट किया है कि वे आरबीआई को इन नोटों की छपाई के लिए निर्देश करें जिससे यह करेंसी मार्केट में आसानी से उपलब्ध हो. मणिकम टैगोर तमिलनाडु के विरुधुनगर सीट से कांग्रेस के सांसद हैं.

खबरों के मुताबिक, आरबीआई को नोट छापना महंगा पड़ता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 10 रुपये के 1000 के नोट छापने का खर्च 960 रुपये आता है. वहीं, 20 रुपये के 1000 के नोट छापने का खर्च 950 रुपये आता है. इस तरह अलग अलग नोटों की छपाई में अलग-अलग खर्चे आते हैं. आरबीआई इस खर्च से बचना चाहता है. RBI ने एक RTI के जवाब हर तरह के नोटों की छपाई की लागत के बारे में बताया था.

आपको बता दें कि केंद्र सरकार और RBI देश में चार जगह नोटों की छपाई करता है. RBI के नियंत्रण वाले प्रेस मैसूर और बंगाल के साल्बोनी में हैं. वहीं केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले प्रेस नासिक और एमपी के देवास में हैं. नोट छापने के लिए एक खास तरीके की इंक इस्तेमाल की जाती है, जो स्विजरलैंड की एक कंपनी द्वारा बनाई जाती है. अलग-अलग तरह की इंक अलग-अलग काम करती है.

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