मणिपुर सीमाई राज्य होने के नाते घुसपैठ की समस्या से जूझता रहा है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने विधानसभा में बताया कि पिछले पांच साल में 10,675 अवैध अप्रवासियों की पहचान की गई है. इस दरमियान 85 लोगों को डिपोर्ट भी किया गया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि ऐसे 143 लोग मौजूदा समय में डिटेंशन सेंटर में हैं.
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बताया कि अवैध अप्रवासी खासतौर पर म्यांमार, बांग्लादेश, नॉर्वे, चीन और नेपाल जैसे देशों से हैं. विधायक सुरजकुमार ओकराम ने विधानसभा में यह सवाल पूछा था, जिसपर मुख्यमंत्री ने जवाब दिया. सीएम ने यह भी बताया कि जो 143 लोग डिटेंशन सेंटर में हैं, उनके मेंटेनेंस पर 85,55,761 रुपये खर्च किया गया है.
सीएम बीरेन सिंह के मुताबिक, इंफाल पश्चिम में ऐसे 11 लोग हैं जो अवैध रूप से रह रहे हैं. वहीं इंफाल ईस्ट में एक, बिष्णुपुर में एक, थौबल में एक, काकचिंग में 6, चुराचांदपुर में 150, चंदेल में 1895, तेंगनौपाल में 2406, उखरूल में 3, कांगपोकपी में 2 और कामजोंग में 6199 अवैध अप्रवासी हैं.
मणिपुर सीएम ने विधानसभा में जानकारी दी कि अवैध घुपैठ को रोकने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है. गृह मंत्रालय की देखरेख में मार्च 2023 से चुराचांदपुर, चंदेल, टेंग्नौपाल, कामजोंग और फेरजॉल जिलों में विदेशियों की पहचान के लिए वेरिफिकेशन कैंपेन भी चलाया गया. उन्होंने बताया कि पिलर नंबर 79 से 81 तक 9.12 किलोमीटर सीमा पर बॉर्डर फेंसिंग भी लगाया गया है.
गृह मंत्रालय ने मणिपुर में 80 किलोमीटर की मांग के बजाए 120 किलोमीटर क्षेत्र में बॉर्डर फेंसिंग को मंजूर किया है. इनमें 21.86 किलोमीटर स्ट्रेच में फिजिकल काम चल रहा है. इनके अलावा जिलों की पुलिस लगातार अवैध अप्रवासियों की पहचान के लिए दिन-रात काम कर रही है. सीमाई इलाकों में 6 पुलिस स्टेशन और 34 आउटपोस्ट बनाने का काम भी चल रहा है.