कर्नाटक के फेडरेशन ऑफ वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन ने गुरुवार को ऐलान किया कि राज्य के 10,800 से शराब लाइसेंस धारक 20 नवंबर को अपनी दुकानें बंद रखेंगे. यह फैसला आबकारी विभाग में कथित रूप सें व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकार द्वारा उनकी मांगों पर ध्यान न देने के विरोध में किया गया है.
इस बंद के दौरान सभी निजी शराब की दुकानें बंद रहेंगी, केवल सरकारी दुकानें खुली रहेंगी. एसोसिएशन ने कर्नाटक आबकारी अधिनियम की धारा 29 में संशोधन की भी मांग की है, जो सरकारी अधिकारियों को आबकारी लाइसेंस या परमिट रद्द या निलंबित करने का अधिकार देती है.
एसोसिएशन की मांग
एसोसिएशन की मांग है कि राज्य आबकारी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना चाहिए और आबकारी विभाग का वित्त मंत्रालय में विलय कर देना चाहिए. हालांकि, कर्नाटक राज्य पर्यटन होटल मालिक संघ ने एसोसिएशन के फैसले का पालन करने से इनकार कर दिया है. गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए फेडरेशन ऑफ वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन कर्नाटक के महासचिव बी गोविंदराज हेगड़े ने कहा कि मुख्यमंत्री को उनकी मांगों को पूरा करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता करनी चाहिए. उन्होंने कहा, “चूंकि (आबकारी) विभाग के पास बजट नहीं है, इसलिए इसे वित्त मंत्री के नियंत्रण वाले वित्त विभाग में मिला दिया जाना चाहिए.”
एसोसिएशन ने यह भी मांग की कि मुख्यमंत्री उनके मुद्दों को हल करने के लिए एक बैठक बुलाएं और आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कार्रवाई करें. अन्य मांगों में खुदरा शराब की बिक्री पर लाभ मार्जिन को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की गारंटी, सीएल -2 लाइसेंसधारियों (खुदरा दुकानों) में शराब की खपत की अनुमति, सीएल 9 लाइसेंसधारियों (बार और रेस्तरां) में अतिरिक्त काउंटर स्थापित करना.
होटल संघ का विरोध
कर्नाटक राज्य पर्यटन होटल मालिक संघ के सचिव गोविंदा कौलागी ने वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन पर उनसे परामर्श किए बिना 20 नवंबर को शराब की बिक्री रोकने के निर्णय की “एकतरफा” घोषणा करने का आरोप लगाया. कौलागी ने डीएच से कहा, “हमने अपने श्रमिकों को भुगतान करने और भारी कर्ज लेने के लिए भारी मात्रा में धन निवेश किया है. हम एक अत्यधिक वार्षिक शुल्क भी देते हैं. इसे कम किया जाना चाहिए और हमें लाभ का 20 प्रतिशत मिलना चाहिए.”
वहीं हेगड़े ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चुनावी राज्य महाराष्ट्र में एक रैली में लगाए गए इस आरोप को खारिज कर दिया कि कर्नाटक के शराब व्यापारियों से चुनाव के लिए 700 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई. उन्होंने कहा, ‘हमारे किसी भी पदाधिकारी ने 500 करोड़ रुपये या 700 करोड़ रुपये या 900 करोड़ रुपये की रिश्वत के बारे में बात नहीं की है.’