यूनियन कार्बाइड के घातक कचरे से भरे 12 कंटेनर, 42 दिन बाद उतारे गए..

भोपाल गैस त्रासदी के 40 वर्ष बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के कचरे को धार जिले के पीथमपुर स्थित संयत्र में लाकर निस्तारित करने की प्रक्रिया विरोध के लगभग सवा महीने बाद फिर शुरू कर दी गई है। इसके लिए संयत्र में खड़े 12 वाहनों से कचरे से कंटेनरों को 42 वें दिन गुरुवार को उतारा गया। इन कंटेनरों में 337 टन रासायनिक कचरा भरा हुआ है। इन्हें कलेक्टर, एसपी व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में उतारा गया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ में 18 फरवरी को कचरे के निस्तारण पर सुनवाई होनी है। इसमें राज्य सरकार की ओर से अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी है।

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  • इसके पहले गुरुवार दोपहर क्रेन की सहायता से सभी कंटेनरों को अनलोड किया गया। सभी कंटेनरों पर सील लगी हुई है।
  • प्रशासन ने जनप्रतिनिधियों व मीडिया के माध्यम से लोगों को यह भी विश्वास दिलाया है कि जहरीला कचरा अभी कंटेनर में ही है।
  • प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पीथमपुर में घातक रासायनिक कचरे के निस्तारण से यहां की जलवायु प्रदूषित होगी और इससे लोग बीमार हो सकते हैं।
  • छह जनवरी को हुई पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने विरोध करने वालों को समझाने और विश्वास में लेने के बाद कचरा निष्पादन की प्रक्रिया करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए थे।
  • इसके बाद से प्रशासन लगातार जनसंवाद, नुक्कड़ नाटक, हर वार्ड में जनसंपर्क करके लोगों को कचरे के वैज्ञानिक पद्धति से निष्पादन के संबंध में जानकारी दे रहा है।
  • विश्वास दिलाया जा रहा है कि कचरे के निष्पादन से कोई भी प्रतिकूल असर पर्यावरण या आम लोगों पर नहीं होगा। कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने कहा कि कंटेनरों को ट्राली से उतारना आवश्यक था।
  • इसके लिए जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर सहमति ली गई थी। प्लांट की 24 घंटे निगरानी की जा रही है।
  • अब कंटेनर उतारने के विरोध में करेंगे भूख हड़ताल पीथमपुर में कचरा जलाने को लेकर विरोध अभी भी थमा नहीं है।
  • पीथमपुर बचाओ समिति, पीथमपुर रक्षा मंच, विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारी, नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि, श्रमिक संगठन, मानवाधिकार परिषद व आम नागरिक लगातार विरोध कर रहे हैं।
  • पीथमपुर बचाओ समिति के हेमंत हीरोले ने बताया कि हाई कोर्ट की सुनवाई पूरी होने के पहले कचरे से भरे कंटेनरों को नहीं उतारने की मांग की गई थी, लेकिन इसे नहीं माना गया।
  • ऐसे में अब में 15 फरवरी को भूख हड़ताल पर बैठेंगे। बता दें कि बुधवार को भी प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन किया था।
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