एक दौर में पाकिस्तान के तानाशाह रहे परवेज़ मुशर्रफ का नाम अब उत्तर प्रदेश के बागपत की जमीन से हमेशा के लिए मिट गया है. कोताना गांव की 13 बीघा शत्रु संपत्ति सरकार ने नीलाम कर दी है. ऑनलाइन बोली में ये जमीन 1 करोड़ 38 लाख 16 हजार रुपये में तीन खरीदारों ने खरीद ली.
प्रशासन ने इसका बेस प्राइज 39 लाख रुपये रखा था, लेकिन बोली में कीमत तीन गुना से ज्यादा पहुंच गई. जमीन खरीदने वालों में पंकज (ठेकेदार), मनोज गोयल (ट्रांसपोर्ट और प्रॉपर्टी डीलर) और गाज़ियाबाद की फर्म जेके स्टील शामिल हैं.
इतिहास से जुड़ी ये जमीन किसी दौर में परवेज मुशर्रफ के माता-पिता की थी, जो बागपत के कोताना गांव के मूल निवासी थे. 1943 में वो दिल्ली और फिर 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे. जिसके बाद ये हवेली उनके चचेरे भाई के नाम हो गई, लेकिन कृषि जमीन शत्रु संपत्ति में दर्ज रही.
अब इस नीलामी के साथ ही मुशर्रफ परिवार का नाम कानूनी दस्तावेजों से भी साफ हो गया है. यानी अब न जमीन, न नाम, बागपत की मिट्टी से पूरी तरह खत्म हुआ ‘मुशर्रफ’ का निशान.
मामले में मनोज यादव (एडीएम, बागपत) ने कहा कि कोताना गांव में शत्रु संपत्ति थी, जो अब नीलाम कर दी गई है. ये नीलामी ऑनलाइन हुई है. बोली में कीमत तीन गुना से ज्यादा पहुंच गई थी. बेस प्राइज 39 लाख था.
मालूम हो कि बीते साल परवेज मुशर्रफ के भाई की संपत्ति को प्रशासन ने शत्रु संपत्ति घोषित कर नीलम कराया गया था. 13 बीघा जमीन को ऑनलाइन नीलम किया गया था. इसकी कीमत 1.40 करोड़ रुपये लगी थी. उन जमीनों को बागपत के रहने वाले दो किसानों ने खरीदा था.