ग्वालियर के डबरा में 15 साल के लड़के ने अपने ही पिता की गाेली मारकर हत्या कर दी। उसने पिता के सीने में तीन फायर किए। इसके बाद अपना गुनाह छिपाने के लिए पुलिस को बताया कि पिता ने लाइसेंसी बंदूक से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है।
पुलिस ने भी प्राथमिक तौर पर सुसाइड मान कर केस की जांच शुरू कर दी। 10 दिन बाद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई, तो पूरा मामला पलट गया। सामने आया कि आरोपी ने मां-बेटे को पीटा था। वह उन्हें मारने के इरादे से बंदूक ले आया। बीच-बचाव में बेटे ने बंदूक का ट्रिगर दबा दिया।
14 मई को पुलिस ने नाबालिग बेटे को गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह भेज दिया है। ग्वालियर देहात एएसपी निरंजन शर्मा से बात कर मामले को समझने की कोशिश की।
तारीख – 1 मई 2025, गुरुवार
समय – रात करीब 7:30 बजे
स्थान – ग्वालियर जिले की डबरा तहसील का अकबई बड़ी गांव
4 हजार की आबादी वाले अकबई बड़ी गांव में उस रोज करीब आठ-दस परिवारों में शादियां थीं। बारातों के डीजे की आवाज पूरे गांव में सुनाई दे रही थी। बाराती रुक-रुककर गोलियां (हर्ष फायर) भी चला रहे थे। कितने फायर हुए कहा नहीं जा सकता। इसी वक्त गांव के एक घर में भी एक के बाद तीन गोलियां चलीं।
थोड़ी देर बाद गांव में पुलिस के सायरन की आवाज गूंजने लगी। खबर आई कि गांव के किसान प्राणसिंह बघेल उर्फ बंटी भइया ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से खुद की छाती पर फायर कर जान दे दी।
देखते ही देखते बंटी भइया के घर के सामने भीड़ जमा हो गई। जान-पहचान के लोग शादियां छोड़ आ गए। महिलाएं बंटी भइया की पत्नी मीना बघेल का संभालने लगीं, तो पुरुष उनके 15 साल के बेटे को।
बंटी भइया के शरीर का अगला हिस्सा सिलेंडर के पीछे पड़ा था। लाइसेंसी बंदूक का मुंह उनकी छाती की ओर था।
बेटे ने पुलिस को फोन पर सूचना दी। बताया कि ‘उस दिन पड़ोस में शादी थी। पिता को छोड़ घर के सभी लोग शादी में गए थे। पिताजी तीन-चार दिन से बहुत शराब पी रहे थे। उस दिन भी वे नशे में थे, इसलिए नहीं गए। साढ़े सात बजे के करीब मैं काम से घर आया। यहां देखा कि पिता रसोई में खून से लथपथ पड़े थे। पास ही बंदूक पड़ी थी।‘
मौके पर पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा बना पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। प्राथमिक तौर पर पुलिस ने भी सुसाइड माना। केस दर्ज कर जांच में लिया। दूसरे दिन यानी 2 मई को अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखकर पुलिस भी चौंक गई इधर, 10 मई की दोपहर पिछोर थाने में थाना प्रभारी बलविंदर ढिल्लन अपने थाना क्षेत्र में बीते 15 दिन में हुए क्राइम का अपडेट ले रही थीं। जैसे ही, थाने के दीवान ने उन्हें बंटी सुसाइड केस की पीएम रिपोर्ट आने की बात बताई, तो उन्होंने तुरंत रिपोर्ट लाने को कहा।
टीआई ने पहले तो रिपोर्ट को सरसरी निगाह से देखा, लेकिन उस पाॅइंट को देखकर वे रुक गईं, जिसमें मौत का कारण मर्डर बताया गया था। इसके बाद उन्होंने इत्मिनान से पूरी रिपोर्ट पढ़ी।
पता चला कि मृतक को एक नहीं तीन गोलियां लगी थीं। इससे पुलिस का माथा ठनका। घटना को लेकर बारीकी से जांच की। पता चला कि घटना वाले दिन पिता और बेटे के बीच विवाद हुआ था, उसी दौरान गोली चली थी। पुलिस ने प्राण सिंह की पत्नी मीनाबाई बघेल और नाबालिग बेटे और बेटी से बारी-बारी से पूछताछ की।
पहले गुमराह किया, फिर हकीकत बयां की पीएम रिपोर्ट आने के बाद मामला उलटा हो गया। पुलिस ने नए सिरे से जांच की। जांच के दौरान किसान के पड़ोसियों और उसके परिजनों से पूछताछ की, तो नाबालिग बेटे के दिए गए बयानों पर पुलिस को शंका हुई। पुलिस ने बेटे से दोबारा पूछताछ की, तो वह गुमराह करने लगा। सख्ती से पूछताछ में वह टूट गया।
उसने बताया कि उसका पिता आए दिन शराब पीकर मारपीट करते थे। घटना वाले दिन भी उसने उसे पीटा था, जिससे नाराज होकर पिता की गोली मार का हत्या कर दी। मीनाबाई ने भी पूछताछ में हकीकत बयां कर दी।
मां मीना बाई बोली- बेटा मेरी ढाल बन खड़ा हुआ प्राण सिंह की पत्नी मीना बघेल ने पुलिस को बताया कि करीब 16-17 साल पहले बंटी (प्राण सिंह) से शादी हुई थी। दो बेटे और एक बेटी है। शादी के चार-पांच साल बाद से ही बंटी को शराब की लत लग गई।
1 मई को पड़ोस में शादी थी। बंटी के साथ हम सभी को वहां जाना था। घर का काम जल्दी-जल्दी निपटा रहे थे। बंटी 7 बजे के करीब घर आए। उन्होंने खूब शराब पी रखी थी। मैंने कहा, हमें शादी में जाना है, आज तो कम से कम शराब नहीं पीते। मेरी बात सुनते ही उन्होंने गाली-गलौज शुरू कर दी। मुझे मारने लगे।
मुझे पिटता देख बेटा बीच–बचाव करने आ गया। ये बात उन्हें नागवार गुजरी। बंटी ने बेटे की भी पिटाई कर दी। पास खड़ी बेटी कांप रही थी। वे मुझे मार रहे थे। बेटा मेरी ढाल बन सामने खड़ा हो गया। वो बेटे को गालियां देते, आज किस्सा खत्म कर दूंगा, कहते हुए दूसरे कमरे में गए और अपनी 12 बोर की लाइसेंसी बंदूक लेकर आ गए।
बेटे को मारने का कहते हुए उन्होंने कारतूस लोड कर लिया। हम सब कांप रहे थे। जैसे ही, बंदूक को उन्होंने बेटे की तरफ ताना, उसने झपटकर बंदूक छुड़ा ली। बंटी से ये बर्दाश्त नहीं हुआ। वो बेटे से बंदूक छुड़ाने झूम गया। दोनों में छीना-झपटी होने लगी।
बंदूक की छीना-झपटी में बेटे से ट्रिगर दब गया। गोली बंटी को लगी। वो उसी हालत में बेटे से बंदूक छीनने की कोशिश करने लगे। बेटे ने फिर से ट्रिगर दबा दिया। बंटी रसोई गैस के पास की दीवार से घसीटते हुए बैठ गया। इसके बाद बेटा भी बदहवास सा हो गया।
वो गुस्से से दूसरे कमरे में गया। एक राउंड लोड करते हुए वापस आया। उसने आते ही बंटी की छाती पर तीसरा फायर कर दिया। थोड़ी देर बाद बेटे ने ही हालात संभाले। हम सबको चुप कराया। बंटी की लाश के पास बंदूक रख दी और पुलिस को फोन किया।