अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी कुर्सी संभाली भी नहीं कि उनका प्रशासन प्रवासियों पर कड़े कानून लागू करने की पूरी तैयारी कर चुका है. इस कार्रवाई का सामना अमेरिका में रह रहे करीब 18 हजार भारतीय को करना पड़ सकता है.
अमेरिका के ICE (Immigration and Customs Enforcement) की ओर से जारी किए गए डेटा में खुलासा हुआ है कि अमेरिका से डिपोर्टेशन का सामना कर रहे 1.45 मिलियन व्यक्तियों में लगभग 18 हजार भारतीय शामिल हैं. ICE ने कहा है कि बिना डॉक्यूमेंट वाले प्रवासियों का निर्वासन ट्रंप के सीमा सुरक्षा एजेंडे का केंद्र है. उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में प्रवासियों का मुद्दा बार-बार उठाया था.
ICE के डेटा में कितने भारतीय?
नवंबर 2024 में जारी ICE डेटा के मुताबिक 17,940 भारतीयों को एजेंसी की गैर-हिरासत वाली सूची में सूचीबद्ध किया गया है. इसमें निष्कासन के आखिरी आदेश वाले लोग शामिल हैं जो ICE की हिरासत में नहीं हैं, लेकिन निर्वासन आदेश का इंतजार कर रहे हैं. कई भारतीय कागजी कार्रवाई के लंबे प्रोसेस में खुद को फंसा हुआ पा रहे हैं, कई लोगों को तो इस काम में तीन साल तक लग जाते हैं. ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिका में रोजगार और पढ़ाई की योजना बनाने वाले लोगों को चिंता सताने लगी है.
भारत को रिपोर्ट में बताया ‘असहयोगी’
इस रिपोर्ट में खास बात ये है कि भारत को निर्वासन प्रक्रिया में ‘असहयोगी’ बताया गया है. असहयोगी देशों में 15 देशों के नाम शामिल हैं. ICE के मुताबिक अपने नागरिकों की वापसी को अस्वीकार करना और निर्वासन में सहयोग न करने वाले देशों को इस सूची में डाला गया है.
चिंताजनक बात यह है कि पिछले तीन सालों में अमेरिका की सीमा पर औसतन 90 हाजार भारतीय नागरिकों को अवैध रूप से देश में प्रवेश करने की कोशिश करने के लिए पकड़ा गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन प्रवासियों का एक बड़ा हिस्सा पंजाब, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे भारतीय राज्यों से आ रहा है.