भूख-प्यास से 19 गायों की मौत, सड़कर कंकाल बने:नदी किनारे फेंका, बदबू फैलने पर पता चला; गरियाबंद के गौशाला में 150 मवेशी बचाए गए

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में कोपरा गौशाला में 2 महीने में भूख-प्यास से 19 गायों की मौत हो गई। कुछ तो कंकाल में तब्दील हो गईं। मृत गायों को पैरी नदी के किनारे फेंक दिया गया। बदबू फैलने के बाद इसका खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि, चरवाहों और केयर टेकर को पिछले दो महीने से सैलरी नहीं मिली है। इस कारण गौवंश की देखभाल नहीं हो पाई।

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स्थानीय लोगों की शिकायत पर राजिम एसडीएम विशाल महाराणा अपनी टीम के साथ जांच के लिए पहुंचे। पता चला कि, गौशाला में मौजूद 150 मवेशी भी भूख से बेहाल थे। चारा-पानी नहीं मिलने के कारण कई पशु तो खड़े होने की स्थिति में भी नहीं थे। प्रशासन ने गौशाला संचालक मनोज साहू को फटकार लगाई। जिम्मेदार पशु चिकित्सक को भी नोटिस जारी होगा।

150 मवेशियों का रेस्क्यू

प्रशासन ने बाकी सभी 150 मवेशियों को रेस्क्यू कर लिया है। जिला प्रशासन अब गौशाला का संचालन दूसरी संस्था को सौंपने की तैयारी कर रहा है। संचालक मनोज साहू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।

वहीं, स्थानीय लोगों ने उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। गरियाबंद कलेक्टर ने घटना के बाद सीएमओ, संस्था प्रमुख और स्थानीय पशु चिकित्सा को नोटिस जारी करने के आदेश दिए है। एसडीएम विशाल महाराणा ने इस पूरे मामले को लेकर संस्था प्रमुख को दस्तावेजों के साथ तलब किया है।

विहिप और बजरंग दल सक्रिय हुआ, तब हुई कार्रवाई

गायों की मौत की जानकारी विहिप कार्यकर्ता कुणाल साहू और अजय यादव को लगी, तो वे संगठन से बात कर निगरानी में लगे थे। उन्होंने बताया कि, 6 साल पहले कोपरा के इस गौशाला का शुभारंभ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष विशेश्वर पटेल ने किया था। लेकिन लापरवाही के चलते गौवंशों की मौत हो रही है।

एक महीने के भीतर 45 से ज्यादा गौवंश की मौत: बजरंग-विहिप

बजरंग दल जिला संयोजक मोहित साहू और विहिप के डिगेश्वर वर्मा ने कहा कि, गौशाला में पर्याप्त चारे की व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया है कि, एक महीने के भीतर 45 से ज्यादा गौवंश की मौत हुई है। लेकिन उनका विधिवत अंतिम संस्कार भी नहीं किया गया। संचालक और जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो। गौशाला संचालन के लिए नगर पंचायत को सौंप दिया जाए।

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