उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के चरवा मनुरी रोड स्थित एक निजी अस्पताल में फर्जी डॉक्टर बनकर पांच वर्षीय बच्चे का ऑपरेशन करने के आरोप में दो भाइयों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने मंगलवार को बताया कि ऑपरेशन के दौरान बच्चे की मौत हो गई. इस मामले में 16 मार्च को सिरियावा कला गांव के स्थानीय निवासी राम आसरे ने शिकायत दर्ज कराई थी.
पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि अनमोल अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टर की अनुपस्थिति में राम आसरे के बेटे दिव्यांशु का इलाज लापरवाही से किया गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई. इसके बाद चरवा थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया. इसके बाद पुलिस जांच में आरोप की पुष्टि हो गई.
पुलिस ने 25 मई को नाबालिग की मौत के मामले में कौशांबी जिले के स्थानीय निवासी विकास कुमार (26) और विशेष कुमार (25) को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने अपने भाई संजय कुमार के नाम पर अनमोल नाम से अस्पताल खोला है. पुलिस ने आरोप लगाया कि मेडिकल की डिग्री न होने के बावजूद उन्होंने खुद को डॉक्टर घोषित किया है.
राम आसरे ने अपने बेटे को 16 मार्च को इलाज के लिए अनमोल अस्पताल में भर्ती कराया. जब दिव्यांशु के पैर का ऑपरेशन करने वाले सर्जन समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए, तो भाइयों ने मामले को अपने हाथ में ले लिया. पुलिस ने बताया कि इसके बाद उन्होंने दिव्यांशु का ऑपरेशन किया और उसके पैर से लोहे की रॉड निकाली, जिसके दौरान बच्चे की मौत हो गई.
दिव्यांशु के माता-पिता ने उसी दिन शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया. इस घटना के बाद मार्च में कौशांबी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने निजी अस्पताल को सील कर दिया था. बताते चलें कि इसी तरह का मामला मध्य प्रदेश के दमोह में सामने आया था. यहां मिशनरी संस्थान द्वारा संचालित एक अस्पताल पर एक व्यक्ति ने गंभीर आरोप लगाए थे.
आरोप था कि अस्पताल में एक शख्स ने फ़र्ज़ी कार्डियोलॉजिस्ट बन लोगों का ऑपरेशन कर दिया. इससे अलग-अलग समय में 7 लोगों की मौत हो गई. दमोह के रहने वाले दीपक तिवारी नाम के शख्स ने यह आरोप लगाया था. अस्पताल में जनवरी और फरवरी महीने में आए रोगियों का गलत व्यक्ति द्वारा इलाज किया गया, जिससे 7 लोगों की मौत होने की बात सामने आई थी.
अस्पताल में एक शख्स ने खुद को लंदन का कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर एनजॉन केम बताया था. जनवरी-फरवरी में 15 लोगों का दिल का ऑपरेशन किया था. इस मामले ने तूल पकड़ा तो मालूम चला कि डॉक्टर का नाम एनजोन केम नहीं नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है. राष्ट्रीय मनवाधिकार आयोग को लिखे पत्र दीपक तिवारी ने कहा कि इन मौतों की सूचना संबंधित थाने को नहीं दी गई.
गलत इलाज से मृत व्यक्तियों के परिजनों को समझा बुझाकर उनसे मोटी फीस वसूल कर उन्हें बिना पोस्टमार्टम कराए शव वापिस कर दिया गया. मिशन अस्पताल में कार्यरत डॉ. एन जॉन केम ने स्वयं को विदेश से डिग्रियां हासिल करने का दावा किया था. जांच में पता चला कि आरोपी यूके के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जॉन केम के नाम का दुरुपयोग कर रहा था.