छत्तीसगढ़ में 19 महीने से 2 मंत्री पद खाली:आज दिल्ली जाएंगे सीएम,मोदी-शाह से मुलाकात तय,कैबिनेट विस्तार

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार को 1 साल 7 महीने से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अब तक मंत्रिमंडल का पूर्ण गठन नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज यानी 30 जुलाई को दिल्ली दौरे पर रवाना हो रहे हैं, और इस दौरे को भाजपा संगठन और सरकार दोनों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात तय है। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरे के दौरान छत्तीसगढ़ में लंबित कैबिनेट विस्तार और भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

मुख्यमंत्री 1 अगस्त को छत्तीसगढ़ के सांसदों के साथ डिनर कार्यक्रम में भी शामिल होंगे, जहां संगठन के बड़े नेता मौजूद रहेंगे।

19 महीने से अधूरी टीम

साय सरकार ने 13 दिसंबर 2023 को शपथ ली थी। साय कैबिनेट का जब गठन हुआ तो मुख्यमंत्री सहित 12 मंत्री थे। जबकि प्रदेश में 13 मंत्रियों को कैबिनेट में रखा जाता रहा है। तो पहले से ही एक खाली था।

लोकसभा चुनाव के समय बृजमोहन अग्रवाल ने इस्तीफा दिया, तो 11 मंत्री बचे। कुल मिलाकर 2 मंत्रियों की जगह साय कैबिनेट में इस वक्त खाली है। भाजपा विधायकों के भीतर भी इस मुद्दे पर नाराजगी की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं।

संसदीय सचिवों की घोषणा भी संभव

दिल्ली दौरे में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सिर्फ कैबिनेट विस्तार ही नहीं, बल्कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर भी मुहर लग सकती है। माना जा रहा है कि संभावित मंत्रियों के नामों के साथ ही संसदीय सचिवों की सूची भी जारी की जा सकती है।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिव नियुक्त करने की परंपरा भाजपा सरकार के दौरान शुरू हुई थी, जब डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री थे। उस समय कांग्रेस ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसे ‘मिनी कैबिनेट’ करार देते हुए असंवैधानिक बताया था।

हालांकि सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल सरकार ने भी इस परंपरा को जारी रखा और 13 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया। अब भाजपा की विष्णुदेव साय सरकार में भी इस पद को भरने की तैयारी की जा रही है, जिससे सत्ता-संतुलन के साथ-साथ क्षेत्रीय और सामाजिक प्रतिनिधित्व के समीकरण साधे जा सकें।

मानसून सत्र से पहले बघेल ने जताई थी संसदीय मंत्री की जरूरत

छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं तेज हुई थीं। दरअसल, 7 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर में एक कार्यक्रम में आमने-सामने हुए थे।

इसी दौरान पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि उनकी सीएम विष्णुदेव साय से अनौपचारिक चर्चा हुई, जिसमें उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री नियुक्त करने का सुझाव दिया था। बघेल ने कहा था, विधानसभा की कार्यवाही को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री होना आवश्यक है।

उनके इस बयान के बाद सीएम ने भी कहा था कि जल्द ही घोषणा की जाएगी और तब यह माना जा रहा था कि सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है, हालांकि, मानसून सत्र समाप्त हो गया लेकिन नए मंत्रियों का ऐलान नहीं हुआ। अब एक बार फिर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिल्ली दौरे के साथ यह चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद लंबित मंत्रिमंडल विस्तार पर फैसला हो सकता है।

दिल्ली में अहम बैठकें, साथ होंगे संगठन प्रमुख भी

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव और प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय भी दिल्ली में मौजूद रहेंगे। यह पहली बार है जब सरकार और संगठन दोनों के प्रमुख एक साथ राजधानी में चर्चा के लिए पहुंचे हैं। इससे संकेत मिल रहा है कि अब लंबित निर्णयों पर मुहर लग सकती है।

बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकमान चाहता है कि छत्तीसगढ़ में संगठन और सरकार के बीच तालमेल और मजबूत हो। नई कार्यकारिणी में 2028 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए चेहरों को शामिल किया जाएगा।

1 अगस्त को सांसदों के साथ डिनर

1 अगस्त को दिल्ली में छत्तीसगढ़ के भाजपा सांसदों के साथ रात्रिभोज का आयोजन किया जा रहा हैं। इस डिनर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव और पवन साय भी मौजूद होंगे

पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस डिनर से पहले ही केंद्रीय नेताओं से मुख्यमंत्री की बैठक होगी, जिसमें छत्तीसगढ़ से जुड़े दोनों बड़े विषयों कैबिनेट विस्तार और संगठनात्मक फेरबदल पर फैसला हो सकता है।

क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन रहेगा प्रमुख आधार

हालांकि अब तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कोई आधिकारिक सूची या संकेत जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों और संगठन से जुड़े पदाधिकारियों के बीच कुछ नामों को लेकर चर्चा जोरों पर है।

बताया जा रहा है कि इस बार बस्तर, रायपुर और बिलासपुर संभाग से नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में भाजपा को 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली थी, लिहाजा राजनीतिक संतुलन और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए नए मंत्रियों का चयन किए जाने की संभावना है।

सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरण को भी कैबिनेट विस्तार का आधार माना जा रहा है। कैबिनेट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग से संतुलित प्रतिनिधित्व देने की रणनीति पर काम हो रहा है।

नई कार्यकारिणी में युवा और नए चेहरों की एंट्री संभव

भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी का पुनर्गठन भी इस दौरे का बड़ा मुद्दा है। पिछली कार्यकारिणी दिसंबर 2023 में चुनाव के मद्देनजर बनी थी। अब नए हालात और भविष्य की रणनीति को ध्यान में रखते हुए बदलाव तय माने जा रहे हैं।

भाजपा सूत्रों की मानें तो संगठन में युवाओं, महिलाओं, अनुसूचित वर्गों और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखकर नए चेहरे शामिल किए जाएंगे।

भाजपा के भीतर भी दबाव

पार्टी के अंदरूनी हलकों में भी अब यह स्वीकार किया जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार को और टालना संभव नहीं है। कई वरिष्ठ विधायकों ने निजी बातचीत में अपनी नाराजगी जताई है। खासकर जिन जिलों से भाजपा को बड़ी जीत मिली, वहां से मंत्री नहीं बनाए जाने पर असंतोष बढ़ा है।

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