बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में धर्मांतरण को लेकर रोजाना नये विवाद सामने आ रहे हैं. जिले के दरभा विकासखंड के छिंदवाड़ा में मसीही समाज के पास्टर की मौत के बाद कब्रिस्तान में जगह नहीं मिलने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. अब सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिलने के बाद मृत पास्टर के शव को 20 दिन बाद गांव से 30 किलोमीटर दूर करकापाल में देर रात दफन किया गया. मसीह समाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करने की बात कही है. 20 दिन तक मृत पास्टर सुभाष बघेल का शव डिमरापाल अस्पताल के मर्च्युरी में रखा हुआ था.
जानिए पूरा मामला: 7 जनवरी को पास्टर सुभाष बघेल की मौत उनके पैतृक गांव छिंदवाड़ा में हुई. पास्टर की इच्छा अनुसार घर वाले गांव में ही उनका कफन दफन की प्रक्रिया पूरी करने लगे. जब परिवार के लोग कब्रिस्तान में शव दफन करने की प्रक्रिया पूरी करने लगे तो गांव वालों ने विरोध जताया. जिसके बाद परिवार वालों ने अपनी निजी जमीन पर पिता का दफन करने की इच्छा जताई. इस बात का भी लोगों ने विरोध किया. नतीजा ये हुआ कि परिवार शव को मेडिकल कॉलेज से गांव नहीं लाया.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
लेकिन पास्टर की अपने गांव में ही अंतिम संस्कार की इच्छा के चलते मृतक के बेटे रमेश बघेल ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई. उसके बाद हाई कोर्ट में मामला पहुंचा. जहां छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए अंतिम संस्कार को लेकर जवाब पेश किया गया. जब हाई कोर्ट से परिवार को संतोष जनक जवाब नहीं मिला तो मृत पास्टर का बेटा रमेश बघेल सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने सुनवाई के बाद गांव से 30 किलोमीटर दूर करकापाल में ईसाइयों के लिए तय किए गए स्थान पर पास्टर को दफनाने का आदेश सोमवार को सुनाया. जिसके बाद सोमवार को ही पास्टर का कफन दफन किया गया.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से असंतुष्ट लेकिन फैसले का सम्मान: पास्टर सीआर बघेल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं. बैंच में 2 जजों ने अपना निर्णय दिया है. पहले जज सतीश शर्मा की ओर से आये जजमेंट से असंतुष्ट हैं. क्योंकि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु जिस गांव में होती है. उसके शव को ससम्मान उनके ही निवासरत गांव में दफनाना चाहिए था. लेकिन दुर्भाग्य पूर्ण दूसरे स्थान पर शव दफन करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट से मिला है.
मसीही समाज के लिए हर गांव में कब्रिस्तान !: पास्टर ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जज नागरत्ना मैडम के जजमेंट का स्वागत हैं. उन्होंने संविधान के तहत अपना जजमेंट दिया है और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की निर्देशित किया है कि छत्तीसगढ़ में जितने भी स्थान में मसीही समाज के लोग रह रहे हैं उनके लिए 2 महीने के भीतर उचित कब्रिस्तान उपलब्ध कराएं.