बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। पार्टी ने रविवार को उन 36 विधानसभा सीटों पर मंथन किया, जहां वह 2020 के चुनाव में हार गई थी। दिल्ली में आयोजित इस अहम बैठक में प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। बैठक का मकसद था – पिछली हार के कारणों का विश्लेषण और आगामी चुनाव के लिए जीत की रणनीति तैयार करना।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में बिहार बीजेपी प्रभारी, संगठन मंत्री और सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। इनमें उन सीटों के जिला अध्यक्ष और प्रभारी भी बुलाए गए, जहां पार्टी पिछली बार हार का सामना कर चुकी थी। नेताओं ने बूथ स्तर से लेकर प्रत्याशी चयन तक की समीक्षा की।
बैठक में यह तय किया गया कि जिन सीटों पर बीजेपी को 2020 में मामूली अंतर से हार मिली थी, वहां विशेष फोकस रखा जाएगा। पार्टी की चुनाव प्रबंधन टीम को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान और घर-घर संवाद कार्यक्रम चलाएं।
सूत्रों का कहना है कि इन 36 सीटों में से कई ऐसी हैं, जहां जेडीयू या राजद के उम्मीदवार बहुत कम अंतर से जीते थे। इस बार बीजेपी की कोशिश है कि एनडीए के भीतर सीट बंटवारे में अपने पुराने आधार वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दिलाई जाए।
बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सहयोगियों के साथ तालमेल को लेकर भी चर्चा हुई। पार्टी नेताओं ने माना कि गठबंधन में सीटों का समुचित बंटवारा और उम्मीदवारों का चयन ही इस बार की जीत की कुंजी होगा।
बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी का लक्ष्य है – “2025 में हर बूथ पर कमल खिलाना।” उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे पिछले चुनाव की गलतियों से सबक लें और जनता के बीच लगातार सक्रिय रहें।
बिहार में इस साल के अंत तक चुनावी माहौल बनने लगा है, और बीजेपी अब पूरी ताकत से मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।