प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान देशों के नेताओं को संबोधित करते हुए भारत और आसियान के बीच व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पिछले दशक में आसियान देशों के साथ भारत का व्यापार दोगुना होकर 130 अरब डॉलर से अधिक हो गया है. मोदी ने इस अवसर पर एशियाई सदी की बात करते हुए कहा कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी होगी. साथ ही साल 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की, जिसके लिए भारत संयुक्त गतिविधियों के लिए 5 मिलियन अमेरीकी डालर उपब्लध कराना है.
10 साल पहले शुरू की गई ‘एक्ट ईस्ट नीति’ का जिक्र करते हुए बताया कि इस नीति ने भारत और आसियान देशों के बीच संबंधों को नई दिशा, ऊर्जा, और गति दी है. उन्होंने कहा कि भारत और आसियान के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं.
कई विषयों पर चर्चा हुआ
पीएम मोदी ने शिखर सम्मेलन को ‘फलदायी’ बताते हुए कहा कि व्यापार, सांस्कृतिक संबंधों, प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने के लिए चर्चा की गई है. उन्होंने आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास कोष के तहत ‘आसियान-भारत महिला वैज्ञानिक सम्मेलन’ की भी घोषणा की और आपदा प्रबंधन के लिए 50 लाख डॉलर की सहायता देने की बात कही.
इनमें 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाना, नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्तियों की संख्या को दोगुना करना, और भारत के कृषि विश्वविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिए नए अनुदान देना शामिल है.
दक्षिण चीन सागर और म्यांमा पर चर्चा
उन्होंने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान में आसियान नेताओं से जुड़ने का आह्वान किया. इसके साथ ही मोदी ने हिंद-प्रशांत महासागर पहल और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए समुद्री अभ्यास की चर्चा की. शिखर सम्मेलन के दौरान दक्षिण चीन सागर और म्यांमा में चल रहे संकटों पर भी विचार विमर्श हुआ, जहां भारत-आसियान सहयोग को वैश्विक तनाव के समय महत्वपूर्ण बताया गया.