बाल आयोग ने एंटी ह्यूमन ट्रैकिंग यूनिट और पुलिस की मदद से दुबग्गा क्षेत्र में किराए के घर में संचालित मदरसे से बिहार के 24 बच्चों को रेस्क्यू किया है. मदरसे को दरभंगा के रहने वाले दो मौलवी संचालित कर रहे थे.
इन सभी बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के सदस्यों के सामने प्रस्तुत कर राजकीय बालगृह में रखा गया. इसके बाद परिजनों से संपर्क किया जा रहा है. टीम ने करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद इन बच्चों को रेस्क्यू किया.
उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने ईटीवी को बताया कि कुछ समय पहले उन्हें सूचना मिली थी कि दुबग्गा के कस्मंडी रोड पर अंदेकी चौकी के पास एक घर में मदरसा संचालित है.
सूचना के आधार पर आयोग की पूर्व सदस्य संगीता शर्मा, AHTU (एंटी ह्यूमन ट्रैकिंग यूनिट) प्रभारी दशरथ सिंह, दुबग्गा थाना प्रभारी अभिनव वर्मा पुलिस फोर्स के साथ बुधवार शाम करीब चार बजे रेस्क्यू के लिए पहुंचीं.
उन्होंने बताया कि सबसे पहले टीम ने पुलिस की मदद से घर को चारों ओर घेर लिया था, ताकि कोई भागने न पाए. इसके बाद टीम ने मकान के तीन कमरों से 6 से 15 वर्ष तक के 24 बच्चे रेस्क्यू किए. इसमें से तीन बच्चे मौलाना इरफान के थे, जो उसे सौंप दिए गए हैं.
अन्य 21 बच्चों को बाल सुधार गृह भेजा गया है. इस मदरसे का संचालन बिहार के दरभंगा निवासी दो मौलवी जो सगे भाई हैं इरफान और अफसान संचालित कर रहे थे. पूछताछ में पता चला कि सभी बच्चे दरभंगा के दो गांव से लाए गए हैं. रेस्क्यू शाम सात बजे तक चला. इसके बाद गुरुवार को बच्चों को सीडब्ल्यूसी के सदस्यों के समक्ष प्रस्तुत करने की कार्रवाई आगे बढ़ी है.
CWC की पूर्व अध्यक्ष संगीता शर्मा ने बताया कि बच्चों को सीडब्ल्यूसी के सामने प्रस्तुत कर काउंसिलिंग कराई जाएगी. इसके अलावा मदरसा की मान्यता आदि की भी जांच की जाएगी. इसके आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
मदरसे में पांच दिन पहले ही बच्चे लाए गए थे. मदरसा नया है. वह भी किराए के तीन कमरों के मकान में बच्चों के रहने व खाने की भी व्यवस्था नहीं मिली है. बच्चों ने वहां पर तमाम तरह की परेशानियां होने की बात बताई है.