भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 25 साल बाद फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति से जुड़ा नियम बदला गया है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने घोषणा की है कि अब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी अलग-अलग दिन होगी।
नई व्यवस्था के तहत NSE पर सभी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट हर मंगलवार को एक्सपायर होंगे। वहीं BSE पर इन कॉन्ट्रैक्ट्स की समाप्ति हर गुरुवार को होगी। अब तक दोनों ही एक्सचेंज पर F&O कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी गुरुवार को होती थी। यह बदलाव अगले हफ्ते से लागू हो जाएगा।
SEBI का कहना है कि इस नियम में बदलाव बाजार को ज्यादा पारदर्शी और स्थिर बनाने के लिए जरूरी था। अक्सर देखा जाता था कि एक ही दिन दोनों एक्सचेंज पर भारी उतार-चढ़ाव होता था, जिससे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता था। अलग-अलग दिन एक्सपायरी होने से निवेशकों को बेहतर रणनीति बनाने और जोखिम प्रबंधन में मदद मिलेगी।
विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम छोटे और रिटेल निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। जब दोनों एक्सचेंज पर एक साथ उतार-चढ़ाव नहीं होगा, तो बाजार पर दबाव कम होगा और अस्थिरता घटेगी। साथ ही ट्रेडर्स के पास रणनीति बदलने और पोजिशन एडजस्ट करने का समय भी मिलेगा।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि शुरुआती दिनों में इस बदलाव से निवेशकों को भ्रम हो सकता है। क्योंकि अब उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि वे किस एक्सचेंज पर ट्रेड कर रहे हैं और उसकी एक्सपायरी किस दिन है। लेकिन लंबे समय में यह नियम बाजार के लिए सकारात्मक साबित होगा।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि SEBI का यह फैसला भारतीय शेयर बाजार को अंतरराष्ट्रीय मानकों के और करीब ले जाएगा। कई देशों में अलग-अलग एक्सचेंज पर एक्सपायरी के दिन अलग होते हैं। अब भारत में भी यही मॉडल अपनाया गया है।
कुल मिलाकर, 25 साल बाद हुए इस बड़े बदलाव ने निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है। जहां एक ओर यह कदम स्थिरता और पारदर्शिता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे बाजार सहभागियों को नई व्यवस्था के साथ तालमेल बैठाने में कुछ समय लग सकता है।