दिल्ली की एक विशेष अदालत ने 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को इस महीने अपने भाई से तीन बार फोन पर बात करने की इजाजत दे दी है. अदालत ने साफ कर दिया कि यह बातचीत जेल अधिकारियों की मौजूदगी में होगी और हर कॉल रिकॉर्ड किया जाएगा. इसके साथ ही उसको केवल हिंदी या अंग्रेजी में ही बात करने की अनुमति दी गई है.
विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने बुधवार को आदेश सुनाया. तहव्वुर राणा को अदालत में वर्चुअल पेशी किया गया. इसके बाद न्यायाधीश ने उसे तीन फोन कॉल करने की छूट देते हुए उसकी न्यायिक हिरासत 8 सितंबर तक बढ़ा दी है. सूत्रों के मुताबिक, कॉल की अनुमति इसलिए मिली, ताकि वो निजी वकील से कानूनी बातचीत कर सके और भाई के संपर्क में रहे.
मुंबई टेरर अटैक से जुड़े इस केस की सुनाई बंद कमरे में हुई. इस दौरान अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि फोन कॉल का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं, तहव्वुर राणा की ओर से कानूनी सहायता वकील पीयूष सचदेवा ने आरोपपत्र और पूरक आरोपपत्र में शामिल कुछ दस्तावेजो की जांच के लिए अदालत से समय मांगा, जिसे न्यायाधीश ने स्वीकार कर लिया.
बताते चलें कि तहव्वुर हुसैन राणा वही शख्स है, जिसका नाम 26/11 मुंबई हमले की खतरनाक साजिश से जुड़ा है. वो इस आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी रहा है. हेडली अमेरिकी नागरिक है. वो इस हमले की साजिश में अपनी भूमिका को कबूल कर चुका है. 4 अप्रैल को तहव्वुर राणा को भारत लाया गया था.
2008 में 10 आतंकियों ने किया हमला
इससे पहले अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी. 26 नवंबर 2008 को 10 पाक आतंकवादियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसपैठ की थी. इन आतंकियों ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन, दो आलीशान होटलों और एक यहूदी केंद्र पर ताबड़तोड़ हमला बोला था. यह हमला 60 घंटे तक चला.
मुंबई हमले में गई 166 लोगों की जान
इस आतंकवादियों में 166 निर्दोष लोगों की जान गई, जबकि बड़ी संख्या में लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. इस खौफनाक आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को दहला दिया था. इसमें प्रत्यक्ष रूप से पड़ोसी देश पाकिस्तान का नाम सामने आया था. उसके द्वारा प्रायोजित इस हमले में आईएसआई ने बड़ी भूमिका निभाई थी. फिलहाल तहव्वुर राणा पर अदालत के फैसले पर नजर है.