बेंगलुरु के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने सर्जरी के दौरान एक महिला मरीज के रीढ़ की हड्डी में 3.2 सेंटीमीटर की सुई छोड़ दी. इससे महिला को पेट और पीठ में दर्द होने लगा. करीब 6 साल बाद जब दूसरे अस्पताल में महिला की सर्जरी हुई तो उनकी रीढ़ की हड्डी के पीछे से सुई निकली.
मामला 2004 का है. इस केस में महिला की शिकायत के बाद 20 साल बाद कर्नाटक कंज्यूमर फोरम ने अस्पताल और सर्जरी करने वाले दो डॉक्टरों को महिला को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है.
हर्निया की सर्जरी के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही
29 सितंबर, 2004 को 46 साल की पद्मावती की दीपक अस्पताल में हर्निया की सर्जरी हुई. हालांकि, इसके बाद भी उन्हें पेट दर्द, कमर दर्द और ट्रॉमा का सामना करना पड़ा. इस दौरान वो दो बार अस्पताल में भर्ती भी हुईं. 2010 में जांच के दौरान पता चला कि उनकी रीढ़ में 3.2 सेमी की सर्जिकल सुई है.
पद्मावती ने 2011 में कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज करवाई. हालांकि उस समय अस्पताल प्रशासन ने उनकी शिकायत को मनगढंत बताया. साथ ही 7 साल देरी से शिकायत दर्ज करने पर भी सवाल उठाए. मामले में अब दीपक अस्पताल और डॉ. शिवकुमार और डॉ. एचएन नागराज के खिलाफ लापरवाही करने पर कार्रवाई की गई है.
कर्नाटक स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन ने अस्पताल और दोनों डॉक्टरों को पद्मावती को मुकदमे की लागत के रूप में 50 हजार रुपए देने को कहा है. वहीं अस्पताल में लापरवाही के खतरों के लिए बीमा कराने वाली कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 5 लाख रुपए का मुआवजा देना होगा.