नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST) ने अंतरिक्ष में तीन प्राचीन और रहस्यमयी आकाशगंगाएं खोजी हैं. तीनों बिग बैंग के कुछ करोड़ साल बाद ही बन गई थीं. तब से लेकर आज तक ये लाल रंग की चमक रही हैं. ये तीनों आकाशगंगाएं हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे जितनी ही बड़ी हैं. इनकी खोज से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के नए राज खुलने के आसार हैं.
वैज्ञानिक इन्हें ‘Red Monster’ गैलेक्सी कह रहे हैं. ये शुरुआती ब्रह्मांड के समय से अब तक मौजूद हैं. हर एक गैलेक्सी का वजन हमारे सूरज के वजन से करीब 10 हजार करोड़ गुना ज्यादा है. इन तीनों लाल आकाशगंगाओं की उम्र करीब 1280 करोड़ वर्ष है. यानी ये बिग बैंग की घटना के करीब 100 करोड़ साल बाद पैदा हुई थीं.
इन लाल आकाशगंगाओं के अंदर मौजूद तारे तेजी से आपस में मिले. इन आकाशगंगाओं की वजह से वैज्ञानिकों को अब नए तरीके से अंतरिक्ष की स्टडी करनी होगी. क्योंकि इन तीनों आकाशगंगाओं ने तारों और गैलेक्सी के निर्माण के प्रोसेस को रहस्यमयी बना दिया है. इनके बारे में 13 नवंबर को ही नेचर जर्नल में रिपोर्ट छपी है.
तीनों विशालकाय, रहस्यमयी और उलझाने वाली गैलेक्सी हैं
इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ में एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर और इन आकाशगंगाओं की स्टडी करने वाले स्टिन वुइट्स ने कहा कि ये तीनों विशालकाय हैं. रहस्यमयी हैं. ये अंतरिक्ष के बड़े शैतानों से कम नहीं हैं. ये हमें फिर से अंतरिक्ष, तारों और आकाशगंगाओं के निर्माण की स्टडी करने के लिए उलझा रहे हैं.
आमतौर पर कैसे बनते हैं तारे और आकाशगंगाएं?
स्टिन ने बताया कि आमतौर पर जो मान्यता है कि आकाशगंगा डार्क मैटर के विशालकाय गड्डे में बनती है. इस गड्डे में मौजूद ताकतवर ग्रैविटी किसी भी चीज जैसे गैस, छोटे पत्थर आदि को अपनी ओर खींचकर उनसे तारे बनाती है. फिर इन तारों के समूह बनते हैं. उनके ग्रह और उपग्रह बनते हैं.
प्राचीन आकाशगंगाएं तेजी से बनाती थी तारों को
आमतौर पर किसी आकाशगंगा के निर्माण के समय उसके अंदर मौजूद 20 फीसदी गैस से ही तारों का निर्माण होता है. लेकिन इन तीनों आकाशगंगाओं के 80 फीसदी गैस से नए चमकदार तारे बने हैं. जो वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है. जो यह बताता है कि प्राचीन अंतरिक्ष में मौजूद ये आकाशगंगाएं बेतहाशा गति से तारों का निर्माण करते थे.
तीनों लाल आकाशगंगाओं को JWST के नीयर इंफ्रारेड कैमरा (NIRCam) से कैप्चर किया गया है. यह यंत्र अंतरिक्ष में काफी ज्यादा गहराई में देख सकता है. तारों, आकाशगंगाओं की खोज कर सकता है. इस टेलिस्कोप के लॉन्च होने के बाद दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने फिर से अंतरिक्ष के निर्माण का पहला चैप्टर पढ़ना शुरू किया है.