बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के तुर्की थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस प्रशासन ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. निलंबित किए गए अधिकारियों में तुर्की थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, सब-इंस्पेक्टर मंज़र आलम और सहायक सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद फरीदी शामिल हैं. इन तीनों पर ड्यूटी में लापरवाही और एफआईआर दर्ज करने में देरी का आरोप है.
आरोपी को थाने बुलाकर छोड़ दिया
यह घटना 31 मई को तुर्की क्षेत्र में हुई थी. पीड़िता की मां अगले दिन थाने पहुंची और एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने तुरंत कार्रवाई नहीं की. इसके बजाय पुलिस ने आरोपी को थाने बुला लिया और पीड़िता की मां के सामने ही उसे छोड़ते हुए महिला थाने में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी. जब तक मामला महिला थाने पहुंचा और एफआईआर दर्ज हुई, आरोपी फरार हो गया.
विभागीय जांच शुरू की गई
मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुशील कुमार ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि संबंधित पुलिसकर्मियों ने घटना के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई और कानूनी प्रक्रिया में देरी की. इसके चलते उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.
आरोपी अब तक फरार
एसएसपी ने यह भी कहा कि पुलिसकर्मियों का यह रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, खासकर जब पीड़िता की मां बार-बार न्याय की गुहार लगाती रही. घटना को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी की तलाश की जा रही है और उसके संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है. इस मामले ने एक बार फिर पुलिस की संवेदनशीलता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
PMCH के प्रभारी उपाधीक्षक को हटाया गया
उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर इलाज में लापरवाही बरतने के मामले में सख्त कार्रवाई की गई है. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत को उनके पद से हटा दिया गया है. साथ ही, मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में कार्यरत डॉक्टर कुमारी विभा को निलंबित कर दिया गया है.
बताया गया कि पीड़ित बच्ची को सबसे पहले SKMCH में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहां उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ. इसके बाद उसे बेहतर इलाज के लिए पटना स्थित PMCH रेफर किया गया. हालांकि, वहां भी समय पर इलाज नहीं मिल सका. इलाज में हुई देरी और अस्पतालों की लापरवाही के कारण बच्ची की हालत और बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई.