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35 साल की आदिवासी महिला ने 10वें बच्चे को दिया जन्म, 13 साल की उम्र में पहली बार बनी थी मां

देश की बढ़ती जनसंख्या में हम दो-हमारे दो का नारा दिया जाता हैं. वहीं देश में कुछ ऐसी जनजातियां भी हैं जिन्हें विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा मिला है. ऐसी ही जनजाति बालाघाट जिले में बैंगा जनजाति है. जनसंख्या वृद्धि को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है लेकिन वहीं दूसरी ओर बैंगा जनजाती की एक महिला ने अपने दसवें बच्चे को जन्म दिया है. 35 साल की जुगतीबाई बैंगा आदिवासी समुदाय से आती हैं. उन्होंने बीते 8 जुलाई की रात सीजेरियन ऑपरेशन से अपने दसवें बच्चे को जन्म दिया है.

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महिला जब पहली बार मां बनीं थीं तब वह मात्र 13 साल की थीं. डॉ. अर्चना लिल्हारे ने बताया कि चूंकि लुप्त होती बैंगा आदिवासी को संरक्षित किया जाना है, इसलिए हमने इनकी नसबंदी नहीं की. उन्होंने कहा कि महिला वर्तमान में 35 साल की हैं. महिला के पास शासन का किसी भी प्रकार का कोई ऐसा प्रमाणिक दस्तावेज नहीं है जिससे उस परिवार को योजना का लाभ मिल सके. फिलहाल सीजेरियन के बाद, महिला को विशेष देखरेख में रखा गया है. फिलहाल मां और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं.

पहले तीन बच्चों की हो चुकी है मौत

आशा कार्यकर्ता रेखा कटरे की मानें तो महिला जुगतीबाई मोहगांव नगरपालिका के मोहगांव की रहने वाली हैं. महिला को प्रसव पीड़ा होने पर बिरसा अस्पताल लेकर जाया गया था. यहां बच्चे का हाथ बाहर आ जाने के कारण उसे सीजेरियन प्रसव के लिए जिला चिकित्सालय लेकर आए थे. ऑपरेशन के बाद महिला ने बेटे को जन्म दिया. यह उसका दसवां बेटा है. महिला के पहले जन्मे तीन बच्चों की मौत हो गई है. आशा कार्यकर्ता ने आगे बताया कि परिवार में पति बाहर कमाने गए हैं. परिवार की हालत बहुत खराब है, अस्पताल से छुट्टी के बाद महिला के लिए रहने का कोई ठिकाना भी नहीं हैं. अभी 6 बच्चों को पड़ोस में रखकर आई है.

सात बेटे और तीन बेटियों की मां है महिला

35 साल की जुगतीबाई ने सबसे पहले एक बेटी को जन्म दिया था. उसकी बेटी की उम्र अभी 22 साल है जिसका विवाह हो गया है. इसके बाद एक बेटा 13 साल, 09 साल, बेटी 08 साल, बेटा 06 साल, बेटा 03 साल और एक दिन का जीवित है. जबकि दूसरे, सातवें और आठवें बच्चे की प्रसव के बाद दो से तीन महीने में मौत हो गई थी. दसवें बच्चे को जन्म देने वाली महिला के दो बच्चे पिता के साथ कमाने बाहर गए हुए हैं, जबकि एक दादी के साथ किसी गांव में हैं. दो बच्चे पड़ोसी की देखरेख में हैं और 8-9 साल की बेटी मां के साथ, जिला चिकित्सालय आई है.

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