भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों ने एक बार फिर दक्षिण एशिया में सैन्य शक्ति प्रदर्शन को केंद्र में ला दिया है. ऑपरेशन सिंदूर, जिसे मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया, भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ.
इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने कराची के निकट अरब सागर में 36 युद्धपोतों की तैनाती की, जिसमें स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत, 7 विध्वंसक, 7 फ्रिगेट, पनडुब्बियां और तेज हमलावर नौकाएं शामिल थीं. यह तैनाती भारत की समुद्री ताकत का शानदार प्रदर्शन थी, जिसने पाकिस्तान को रक्षात्मक स्थिति में धकेल दिया.
ऑपरेशन सिंदूर
मई 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भीषण आतंकी हमले ने भारत को निर्णायक कार्रवाई के लिए प्रेरित किया. इस हमले को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों से जोड़ा गया. जिसके बाद भारत ने त्रि-आयामी दबाव (सेना, वायुसेना और नौसेना) के जरिए जवाबी कार्रवाई शुरू की.
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकी ठिकानों को नष्ट करना. पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देना था कि भारत किसी भी आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है. इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने कराची के निकट अरब सागर में अभूतपूर्व तैनाती की. इस तैनाती ने पाकिस्तान नौसेना को पूरी तरह से निष्क्रिय कर दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया.
भारतीय नौसेना की तैनाती: एक ऐतिहासिक प्रदर्शन
1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पायथन के दौरान कराची बंदरगाह पर हमला करने के लिए केवल 6 युद्धपोतों का उपयोग किया था. उस हमले ने पाकिस्तान की समुद्री रसद को तबाह कर दिया था. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में, भारतीय नौसेना ने 36 युद्धपोतों की तैनाती की जो 1971 की तुलना में छह गुना अधिक है.
1. INS विक्रांत और कैरियर बैटल ग्रुप
INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, इस तैनाती का केंद्रबिंदु था. 40,000 टन का यह युद्धपोत मिग-29K लड़ाकू विमान, कामोव हेलीकॉप्टर और उन्नत हवाई चेतावनी प्रणालियों से लैस है.
कैरियर बैटल ग्रुप: विक्रांत के साथ 8-10 युद्धपोतों का एक समूह तैनात किया गया, जिसमें विध्वंसक, फ्रिगेट और सहायक जहाज शामिल थे. इस समूह ने अरब सागर में कराची के निकट एक अभेद्य समुद्री दीवार बनाई, जिसने पाकिस्तानी नौसेना और वायुसेना को तट पर ही सीमित कर दिया.
रणनीतिक प्रभाव: मिग-29K विमानों ने हवाई निगरानी और हमले की क्षमता प्रदान की, जबकि हेलीकॉप्टरों ने पनडुब्बी-विरोधी युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
2. सात विध्वंसक: बहुआयामी ताकत
भारतीय नौसेना ने सात विध्वंसक तैनात किए, जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (MRSAM) और वरुणास्त्र भारी टॉरपीडो से लैस थे.
ये विध्वंसक समुद्री सतह, हवा और पनडुब्बी-विरोधी लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम थे. ब्रह्मोस मिसाइल, जो 450 किमी की रेंज और 2.8 मैक की गति से हमला कर सकती है. कराची बंदरगाह और अन्य रणनीतिक लक्ष्यों को तुरंत नष्ट करने की क्षमता रखती थी.
3. सात स्टील्थ फ्रिगेट: चपलता और शक्ति
सात स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट, जिनमें हाल ही में शामिल INS तुशिल भी तैनात की गईं. ये फ्रिगेट उन्नत रडार, मिसाइल प्रणालियों और स्टील्थ तकनीक से लैस थीं, जो हवाई और समुद्री खतरों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकती थीं. इन फ्रिगेट्स ने पश्चिमी तट के साथ एक रक्षात्मक और आक्रामक समुद्री दीवार बनाई, जिसने पाकिस्तानी नौसेना को कोई जवाबी कार्रवाई करने से रोक दिया.
4. पनडुब्बियां: अदृश्य खतरा
अनुमानित छह पनडुब्बियां, जिनमें परमाणु-संचालित INS अरिहंत और पारंपरिक स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियां (जैसे INS कलवारी) शामिल थीं ने अरब सागर में गुप्त रूप से संचालन किया.
ये पनडुब्बियां स्टील्थ ऑपरेशन्स में माहिर थीं. पाकिस्तानी नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ संभावित हमलों के लिए तैयार थीं. रणनीतिक महत्व: INS अरिहंत की परमाणु मिसाइल क्षमता ने भारत की दूसरी हमले की क्षमता (second-strike capability) को मजबूत किया, जो परमाणु निरोध में महत्वपूर्ण है.
5. तेज हमलावर नौकाएं और मिसाइल बोट
कई तेज हमलावर नौकाएं और मिसाइल बोट भी तैनात की गईं, जो त्वरित और सटीक हमलों के लिए डिज़ाइन की गई थीं. ये छोटे लेकिन घातक जहाज कराची बंदरगाह जैसे लक्ष्यों पर तुरंत हमला करने में सक्षम थे. इनकी तैनाती ने भारतीय नौसेना की ताकत को और बढ़ाया, जिससे कुल युद्धपोतों की संख्या 36 तक पहुंच गई.
पाकिस्तानी नौसेना की स्थिति: रक्षात्मक मुद्रा
पाकिस्तानी नौसेना की तुलना में भारतीय नौसेना की तैनाती कहीं अधिक प्रभावशाली थी. पाकिस्तान के पास वर्तमान में 30 से कम युद्धपोत हैं, जिनमें चार चीनी-निर्मित टाइप 054A/P फ्रिगेट, कुछ पुरानी फ्रिगेट, और सीमित पनडुब्बियां शामिल हैं.ऑपरेशन सिंदूर के दौरानपाकिस्तानी नौसेना के जहाज मुख्य रूप से कराची बंदरगाह के भीतर या तट के बहुत करीब सीमित रहे.
NAVAREA चेतावनी: भारतीय नौसेना की भारी तैनाती के डर से पाकिस्तान ने समुद्री क्षेत्र में NAVAREA (Navigational Area) चेतावनी जारी की, जिसमें संभावित नौसैनिक हमले की आशंका जताई गई.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तानी नौसेना ने दावा किया कि उनकी सतर्कता ने भारतीय नौसेना को उनके जल क्षेत्र में प्रवेश करने से रोका. हालांकि, भारतीय नौसेना ने स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य केवल निवारक मुद्रा बनाए रखना था, न कि सक्रिय हमला करना. सीमित क्षमता: पाकिस्तानी नौसेना की कमजोर समुद्री ताकत और पुराने उपकरणों ने उसे भारतीय नौसेना के सामने जवाबी कार्रवाई करने में असमर्थ बना दिया.
अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रभाव
भारतीय नौसेना की इस विशाल तैनाती ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रभाव छोड़े…
समुद्री यातायात पर असर: कराची के आसपास उच्च जोखिम वाले क्षेत्र के कारण अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक जहाजों को अपने मार्ग बदलने पड़े। इससे पाकिस्तान की समुद्री अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा.
वैश्विक ध्यान: इस तैनाती ने वैश्विक शक्तियों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन का ध्यान आकर्षित किया. भारत की समुद्री ताकत ने हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया.पाकिस्तान पर दबाव: भारतीय नौसेना की तैनाती ने पाकिस्तान को न केवल सैन्य, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चों पर भी दबाव में डाल दिया.
ऑपरेशन सिंदूर का रणनीतिक महत्व
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय नौसेना की संयुक्त तत्परता और समुद्री प्रभुत्व का एक शानदार प्रदर्शन था. यह तैनाती कई मायनों में महत्वपूर्ण थी…
निवारक रणनीति: 36 युद्धपोतों की तैनाती ने पाकिस्तान को किसी भी आक्रामक कार्रवाई से रोक दिया, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता बनी रही.
स्वदेशी ताकत: INS विक्रांत और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे स्वदेशी उपकरणों का उपयोग भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता को दर्शाता है.
सामरिक संदेश: यह तैनाती पाकिस्तान और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों (जैसे चीन) के लिए एक स्पष्ट संदेश थी कि भारत हिंद महासागर में अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है.
संयुक्त युद्ध क्षमता: नौसेना, वायुसेना और सेना के बीच समन्वय ने भारत की त्रि-आयामी युद्ध क्षमता को प्रदर्शित किया.
चुनौतियां और भविष्य की दिशा
ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय नौसेना की ताकत को प्रदर्शित किया, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने आईं…
लॉजिस्टिक्स: इतनी बड़ी तैनाती के लिए ईंधन, गोला-बारूद और आपूर्ति श्रृंखला का प्रबंधन एक जटिल कार्य था.
क्षेत्रीय तनाव: इस तैनाती ने क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाया जिससे कूटनीतिक समाधान की आवश्यकता बढ़ गई.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: भविष्य में पाकिस्तान अपनी समुद्री क्षमता (विशेष रूप से चीनी सहायता से) को बढ़ाने की कोशिश कर सकता है.
भविष्य में, भारतीय नौसेना को अपनी पनडुब्बी बेड़े को और मजबूत करने, स्वदेशी युद्धपोतों का उत्पादन बढ़ाने और हिंद महासागर में निगरानी प्रणालियों को उन्नत करने की आवश्यकता होगी.