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कमीशन के लालच में साइबर ठगों को सौंपे अपने बैंक खाते, 4 छात्र अरेस्ट

मध्य प्रदेश के इंदौर में पुलिस ने चार कॉलेज छात्रों को गिरफ्तार किया है. इन छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर लोगों को डरा-धमकाकर ठगी करने वाले गिरोह को अपने बैंक खाते से वित्तीय लेनदेन करने की अनुमति दी. पुलिस ने बताया कि इन छात्रों ने कमीशन कमाने के लिए साइबर जालसाजों के गिरोह को बैंक खाते की डिटेल दी थी.

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पत्रकारों से बात करते हुए अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त (DCP) राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान रोहन शाक्य, आयुष राठौर, नीलेश गोरेले और अभिषेक त्रिपाठी के रूप में हुई है. चारों आरोपी कॉलेज के छात्र हैं. इनमें से एक बीटेक (कंप्यूटर साइंस) का छात्र है और दो अन्य बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (BBA) के छात्र हैं.

डीसीपी ने बताया कि शाक्य और राठौर सीहोर के रहने वाले हैं, जबकि गोरेले और त्रिपाठी भोपाल के रहने वाले हैं. त्रिपाठी ने बताया कि साइबर जालसाजों ने लोगों को ठगकर 15 लाख रुपए कमाए थे, जो शाक्य के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे, जिसमें से 10 लाख रुपए निकाल लिए गए थे.

उन्होंने बताया कि शाक्य से पूछताछ में तीन अन्य आरोपियों की पहचान हुई है, जो कमीशन के आधार पर साइबर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह को बैंक खाते का विवरण उपलब्ध कराने में शामिल थे.

जांच के अनुसार, शाक्य ने एक बैंक में खाता खोला और ऑनलाइन जालसाजों से कमीशन पाने के लिए अपने साथी राठौर को उपलब्ध कराया. राठौर ने खाते की डिटेल गोरेले को दी, जिसने इसे त्रिपाठी को उपलब्ध कराया.

डीसीपी ने बताया कि इसके बाद डिटेल अन्य सहयोगियों को दी गई. शाक्य के बैंक खाते में 5 लाख रुपए जमा पाए गए. अब इस बैंक खाते से लेन-देन बंद हो गया है. गिरोह के सदस्य कमीशन के आधार पर बैंक खातों को हासिल करने के बाद उन पर पूरा नियंत्रण कर लेते हैं. यहां तक कि जिस व्यक्ति के नाम पर खाता खोला गया है, उसे बाद में पता नहीं चलता कि इस खाते से किस तरह के लेन-देन हो रहे हैं.”

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इंदौर की 59 वर्षीय महिला की धोखाधड़ी से ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने और उससे 1.60 करोड़ रुपये ठगने के मामले की जांच में मिले सुरागों के आधार पर चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.  डीसीपी ने बताया कि इस मामले में अलग-अलग राज्यों से सात लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.

बता दें कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर धोखाधड़ी का नया रूप है. ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल के जरिए डराते हैं और गिरफ्तारी के बहाने उन्हें अपने घरों में डिजिटल तरीके से बंधक बनाकर रखते हैं और रिहाई के लिए उनसे पैसे मांगते हैं.

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