4 ट्रिलियन डॉलर की इंडियन इकोनॉमी को 0.2% का ही नुकसान, समझें ट्रंप के टैरिफ वार से भारत को क्यों पैनिक नहीं होना है?

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान इंडियन इकोनॉमी के लिए आशंकाओं के दौर लेकर आया है. अब एक्टपर्ट ये आकलन कर रहे हैं कि अगर ट्रंप के टैरिफ की वजह से भारत-अमेरिका का ट्रेड प्रभावित होता है तो भारत की जीडीपी पर कितना और किस कदर असर पड़ सकता है.

इस समय भारत की इकोनॉमी का साइज लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर का है. नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम के अनुसार 2025 के अंत तक भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था हो जाएगी.

2024 में भारत द्वारा अमेरिका को किया गया निर्यात 87 से 88 अरब डॉलर रहा है. ये आंकड़े यूएस सेंशस ब्यूरो के हैं. इसको अगर भारत की जीडीपी के हिसाब से देखें तो ये भारत के कुल निर्यात का 17 प्रतिशत है. यानी कि भारत अपने कुल निर्यात का 17 फीसदी निर्यात अमेरिका को करता है. भारत की 4 ट्रिलियन इकोनॉमी के हिसाब से इंडिया के जीडीपी का महज 2.2 फीसदी हिस्सा ही अमेरिका को होने वाले निर्यात से आता है.

टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले भारत के सेक्टर हैं टेक्सटाइल्स, फॉर्मा, इलेक्ट्रानिक्स, केमिकल और ज्वैलरी. लेकिन जीडीपी में योगदान 1 फीसदी से भी कम है. इसलिए टैरिफ का असर और भी न्यूनतम रहने के आसार हैं.

ट्रंप से हमारी जीडीपी को कितना नुकसान, समझें गणित

भारत के दो प्रमुख पॉलिसी रिसर्च थिंक टैंक (NCAER- National Council of Applied Economic Research) और (ICRIER-Indian Council for Research on International Economic Relations) का मानना है कि ट्रंप के नए टैरिफ से इस वित्त वर्ष में जीडीपी को 0.2 से लेकर 0.5 फीसदी तक नुकसान पहुंच सकता है.

छोटे और मध्यम आकार के निर्यातक जो पहले से ही कमजोर वैश्विक मांग और उच्च लॉजिस्टिक लागत का सामना कर रहे हैं, इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

आर्थिक विशेषज्ञों का दावा है कि ट्रंप के टैरिफ का सीधा असर 6 से 7 बिलियन डॉलर सालाना हो सकता है. अब गणित समझें. भारत की मौजूदा जीडीपी लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर यानी कि 4000 बिलियन डॉलर है. परसेंटेज के हिसाब से 7 बिलियन डॉलर 4000 बिलियन डॉलर का मात्र 0.17 फीसदी ही होता है.

अगर इस नुकसान को हम थोड़ा ज्यादा भी मानें तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था को 0.2 फीसदी से ज्यादा नुकसान होता नहीं दिखता है.

इसी वजह से ADB, गोल्डमैन सैश और सिटी जैसी वैश्विक संस्थाएं वित्तीय वर्ष 2026 के लिए भारत का जीडीपी 6.7 प्रतिशत की जगह 6.5 फीसदी बता रही हैं. ये आंकड़ा पूर्व के अनुमानों से थोड़ा कम तो है लेकिन बावजूद इसके भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी में शामिल रहेगा.

भारत को क्यों पैनिक नहीं करना है?

दरअसल भारत की ओर से अमेरिका को निर्यात किया जाने वाला साफ्टवेयर आईटी सर्विसेज अभी टैरिफ के दायरे में नहीं आया है. ट्रंप ने अभी सिर्फ सामानों के निर्यात पर ही टैरिफ लगाने की घोषणा की है. ये भारत के लिए बेहद राहत की बात है. क्योंकि अमेरिका को होने वाले निर्यात में आईटी सर्विसेज बड़ा हिस्सा है.

रिजर्व बैंक के एक सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का कुल सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं का निर्यात 205.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. इस आंकड़े में भारतीय कंपनियों के विदेशी सहयोगियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं भी शामिल हैं. भारत को आईटी सेवाओं से होने वाली कमाई में अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले IT सर्विसेज का ही हिस्सा 55 फीसदी है. अमेरिका को 2023-24 में भारत ने कुल 109.40 बिलियन डॉलर का सॉफ्टवेयर और आईटी प्रोडक्ट का निर्यात किया है.

इस लिहाज से भारत की ओर से अमेरिका को किया जाना वाला निर्यात का बड़ा हिस्सा अभी भी सुरक्षित है.

सॉफ्टवेयर सेवाएं, बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास सहित आईटी क्षेत्र भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था की आधारशिला है. इसमें एआई, साइबर सुरक्षा और एंटरप्राइज टेक साल्यूशंस शामिल हैं.

भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू बाजार की खपत से चलती है. विशाल आबादी की वजह से भारत की इकोनॉमी कुछ हद तक अपने नागरिकों के उपभोग से ही गतिमान रहती है. भारत में तमाम औद्योगीकरण, व्यापक बुनियादी विकास के बावजूद खेती इकोनॉमी को गति देने वाला प्रमुख बूस्टर है.

आखिरी बात यह है कि अमेरिका के साथ भारत की ट्रेड डील अभी सील नहीं हुई है. अगर अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड डील हो जाता है तो इकोनॉमी की बची-खुची चिंता भी दूर हो जाएगी.

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