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‘मंच पर 40-50 लोग चढ़ आए और…’, अकोला में योगेंद्र यादव की सभा में हंगामा

महाराष्ट्र के अकोला में चुनाव विशेषज्ञ योगेंद्र यादव के भाषण के दौरान ‘वंचित बहुजन आघाडी’ के कार्यकर्ताओं ने हंगामा और तोड़फोड़ की. पुलिस के बचाव के बाद योगेंद्र यादव वंचित के कार्यकर्ताओं के बीच से बाहर निकले. पुलिस योगेंद्र यादव को जीप में बिठाकर थाने ले गई. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए उन्हें घेरने की कोशिश की.

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जानकारी के मुताबिक, सोमवार को अकोला में ‘लोकशाही सुरक्षा आनी आपलम मत’ विषय पर एक बैठक आयोजित की गई थी. इस दौरान लोकतांत्रिक मंच के संयोजक और चुनाव विशेषज्ञ योगेंद्र यादव के भाषण दे रहे थे. तभी वंचित बहुजन आघाडी के कार्यकर्ताओं ने भाषण के कार्यक्रम को बाधित कर दिया.

यह घटना अकोला जिला परिषद के कर्मचारी भवन में हुई, जहां बैठक को संबोधित करते समय वंचित बहुजन आघाडी के कार्यकर्ताओं ने योगेंद्र यादव के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और मंच पर हंगामा किया. कार्यकर्ताओं ने सभा के दौरान कुर्सियां तोड़ दीं और मंच से माइक व अन्य सामान फेंक दिया. योगेंद्र यादव को घेरकर उन्होंने ‘जवाब दो, जवाब दो’ के नारे लगाए. स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा.

पुलिस ने जब योगेंद्र यादव को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश की तो वंचित कार्यकर्ताओं ने पुलिस वाहन पर हमला करने की भी कोशिश की. योगेंद्र यादव के भाषण में मुख्य रूप से आगामी विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाडी को समर्थन देने पर केंद्रित किया गया, लेकिन वंचित कार्यकर्ताओं ने उनके रुख का विरोध किया. कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें विश्वास में लिए बिना ऐसी बातें कही जा रही हैं, जो उनके राजनीतिक क्षेत्र के खिलाफ है.

वहीं, योगेंद्र यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट कर कहा, ‘आज अकोला (महाराष्ट्र) में मुझ पर और भारत जोड़ो अभियान के साथियों पर जो हमला हुआ वह हर लोकतंत्रप्रेमी के लिए गंभीर चिंता का विषय है. भारत जोड़ो अभियान के विदर्भ दौरे के तहत हम “संविधान की रक्षा और हमारा वोट” विषय पर सम्मेलन कर रहे थे, तो मुझे बोलने से रोकने के लिए 40-50 लोगों की भीड़ मंच पर चढ़ गई और मेरी ओर बढ़ी.’

‘हम बैठे रहे और स्थानीय साथियों ने घेरा बनाकर हमारी रक्षा की। पुलिस के आने के बाद भी हुड़दंगाइयों का आक्रमण और तोड़ फोड़ जारी रहे. सभा वहीं समाप्त हो गई. पिछले 25 वर्षों में महाराष्ट्र के अनेक स्थानों पर व्याख्यान दिए हैं, लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. यह न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि संविधान और लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के लिए भी दुखद है. यह घटना हमारे लोकतंत्र की रक्षा के प्रति समर्पण को और भी मजबूत करती है. जो भी मेरे बोलने से डरा हुआ है वो सुन ले — मैं वापिस अकोला आऊँगा!’.

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