उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित अमरपति खेड़ा इलाके में 300 से 400 प्राचीन सिक्के मिले हैं. इन सिक्कों पर राम-सीता और लक्ष्मण जी की आकृति बनी है, जो ब्रिटिश काल से भी पुराने बताए जा रहे हैं. पत्थर की शिलाएं और मिट्टी के बर्तन भी बरामद हुए हैं. जिस जगह से ये सब चीजें मिली हैं वो पृथ्वीराज चौहान के समकालीन माने जाने वाले गुरु अमर की समाधि के पास का एरिया है, जो 1920 से ASI संरक्षित है. वीर योद्धा आल्हा-ऊदल गुरु अमर के ही शिष्य थे.
दरअसल, संभल जिला प्रशासन की ओर से ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों को खोजने की कोशिशें लगातार जारी हैं. इसी कड़ी में प्रशासन ने पृथ्वीराज चौहान के समकालीन माने जाने वाले गुरु अमर की समाधि को खोज निकाला है. जहां सोत नदी के किनारे अल्लीपुर खुर्द गांव के अमरपति खेड़ा में सैकड़ों साल पुराने सिक्के और मिट्टी के बर्तन मिले हैं. अमरपति खेड़ा को लेकर कहा जाता है कि इस स्थल पर आल्हा-ऊदल के गुरु अमर बाबा की समाधि है.
जब गांव के लोगों ने सिक्के व बर्तन मिलने की बात बताई तो एएसआई की टीम के साथ एसडीएम वंदना मिश्रा मौके पर पहुंच गईं. ये स्थल 1920 में भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित किया गया था. मौके पर पहुंची ASI टीम के अधिकारियों और एसडीएम के द्वारा स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत करके जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि यहां समय-समय पर मिट्टी की खुदाई होने से प्राचीन काल के सिक्के और काली मिट्टी के बर्तन मिलते रहते हैं, जिनको उठाकर ग्रामीणों के द्वारा रख लिया जाता है.
ऐसे में एसडीएम ने ग्रामीणों से वो तमाम सिक्के मंगवाए और उन्हें देखा. सिक्कों में एक तरफ राम-सीता तो दूसरी तरफ लक्ष्मण की आकृति बनी हुई थी. इस दौरान 1859 के ब्रिटिश काल के और सिक्के भी मिले. जिसके बाद प्रशासन की टीम ने मिट्टी के बर्तन एवं सिक्कों को कब्जे में ले लिया, जिनकी संख्या 300 से 400 बताई गई.
एसडीएम वंदना मिश्रा ने काफी पुराने सिक्के मिलने और मिट्टी के पुराने बर्तन मिलने की जानकारी डीएम डॉ राजेंद्र पेंसिया को दी, जिसके बाद डीएम के आदेश पर प्रशासन ने इन्हें संरक्षित करने की तैयारी शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि 1920 से संरक्षित आल्हा-ऊदल के गुरु संत अम की समाधि स्थल के पास सनातन के बड़े सबूत मिलने के बाद प्रशासन आने वाले दिनों में यहां खुदाई करवा सकता है. जिसमें कुछ और बड़ी और अहम चीजें निकलकर सामने आ सकती हैं.
इस पूरे मामले में एसडीएम वंदना मिश्रा ने कहा कि अमरपति खेड़ा 1920 से ही ASI संरक्षित रहा है. उसी जगह पर हमारी टीम के द्वारा निरीक्षण किया गया. मौके पर कुछ मिट्टी के बर्तन और पुराने सिक्के मिले हैं. लोगों ने बताया कि यहां पर पुरानी समाधियां रही हैं और वह ASI के रिकॉर्ड में भी हैं. इन्हीं में एक गुरु अमर की समाधि है जो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समकालीन माने जाते हैं. अभी तक मौके से 300 से 400 पुराने सिक्के मिले हैं. इसमें कुछ सिक्के ब्रिटिश समय के और कुछ उससे भी पुराने समय के हैं.
कुछ सिक्कों पर राम सीता और लक्ष्मण की आकृति बनी हुई है. बाकी में अलग-अलग तरह की कलाकृति बनी हुई है. ग्रामीणों की माने तो जब सोत नदी के कारण मिट्टी का कटान हुआ था तो यहां से कुछ कंकाल, कमंडल और शिला भी मिली थी.