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मौत की दीवार! दतिया में किले की 400 साल पुरानी दीवार गिरी, 7 लोगों की मौत

दतिया: दतिया में 24 घंटे से अधिक वक्त से बारिश जारी है. गुरुवार को बारिश से खलकापुरा में पुराने फिल्टर के पास राजगढ़ किले की दीवार कुछ मकानों पर गिर गई. जिसमें 9 लोग मलबे में दब गए. सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा और राहत कार्य शुरु किया गया. पुलिस ने मलबे से 3 लोगों के शव निकाल लिये थे और लोगों को सुरक्षित बचाया लिया था. वहीं चार लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान जारी रहा. दोपहर तक पुलिस ने मलबे में दबे सभी चार लोगों को निकाल लिया, लेकिन तब तक सभी की मौत हो चुकी थी. सूचना पर पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर, SDOP भी मौके पर पहुंच गए हैं.

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मकानों पर गिरी किले की दीवार

पिछले 36 घंटों से जारी बारिश ने मध्य प्रदेश में हाहाकार मचाना शुरू कर दिया है. कई इलाकों में पानी और बाढ़ जैसे हालात हैं, तो वहीं हादसों की खबरें भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं. बड़ी खबर मध्य प्रदेश के दतिया जिले से आयी है. जहां दतिया फोर्ट पर रर की दीवार गुरुवार सुबह अचानक भरभराकर गिर पड़ी जिसकी वजह से तलहटी में बने मोगिया समाज के लोगों के घरों पर भारी मलबा गिरा और इसमें करीब 9 लोगों के दबने की बात सामने आयी. जिनमें 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है.

करीब 400 साल पुरानी थी किले की रार

पीताम्बर माई के दर दतिया में गुरुवार को हुए बड़े दिलदहलाने वाले हादसे ने प्रशासन की सजगता पर प्रश्न खड़े कर दिये हैं. यहां भारी बारिश के चलते किले की 400 वर्ष पुरानी रर (पत्थरों से बनी दीवार) गिर गई और इसके मलबे से तलहटी में बने मकानों में रह रहे लोग दब गये. घटना के बाद रेस्क्यू जारी है और मौके पर एसडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन का अमला भी मौजूद है.

अल सुबर तेज आवाज के साथ गिरी रर

बताया जा रहा है कि किले के आसपास सुरक्षा के लिए चार सौ साल पहले दतिया रियासत के राजा ने रर का निर्माण कराया था. लेकिन इतने समय में यह कमजोर हो चुकी थी. हालांकि स्थानीय लोगों ने इस पर कब्जा भी कर लिया था, इसलिए इसे तोड़कर रिंगरोड बनाने का काम चल रहा था. लेकिन बीते 36 घंटों से जारी बारिश की वजह से अचानक गुरुवार अल सुबह चार बजे तेज आवाज के साथ यह दीवार भरभरा कर ढह गई. जैसे ही पत्थर गिरना शुरू हुए तो जिन घरों पर मलबा गिरा वहां के लोगों ने भाग कर जान बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. कुछ लोग तो निकलने में सफल रहे लेकिन इस हादसे में 9 लोग मलबे के बीच दब गए. आस पास के लोगों ने तुरंत मलबा हटाकर कुछ लोगों को अस्पताल पहुंचाया साथ ही प्रशासन को भी घटना की सूचना दी.

रेस्क्यू में लगी देर

घटना की जानकारी लगते हैं पुलिस प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची और लोगों का रेस्क्यू करना शुरू किया. लेकिन बड़े पत्थर और सकरा रास्ता होने की वजह से JCB मशीन को मौके पर पहुंचने में काफी परेशानी हुई. ऐसे में मलबे से लोगों का रेस्क्यू शुरू होने में अभी देर लग गई. इस हादसे में 9 लोग मलबे में दब, जिनमें से सुबह 9 बजे तक 3 लोगों के शव निकाल लिये गए थे, वहीं दो लोगों को सुरक्षित निकाला गया. चार लोग मलबे में दबे रहे जिनके दोपहर 12 बजे तक शव निकाले गए.

परिजन ने किया हंगामा

इधर मौके पर पहुंचा प्रशासन जब मलबा हटाने में जुटा था तो स्थानीय लोगों ने भी जमकर हंगामा कर दिया. लोगों का आरोप था कि मलबा हटाने के लिए उचित प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, रेस्क्यू की रफ्तार काफी धीमी है. बता दें कि मृतकों में 5 लोग एक ही परिवार हैं. जबकि दो लोग उनके रिश्तेदार बताए जा रहे हैं.

मोहन यादव ने हादसे पर जताया दुख

हादसे पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने दुख जताया है. उन्होंने ‘X’ पर ट्विट करते हुए कहा कि, ”दतिया में राजगढ़ किले की पुरानी दीवार ढहने से कई अनमोल जिंदगियों की मृत्यु का समाचार अत्यंत ही पीड़ादायी है. दुःख की इस घड़ी में हम सभी शोकाकुल परिवारों के साथ हैं. घटना की सूचना मिलते ही SDERF तथा जिला प्रशासन की टीम द्वारा तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया था, लेकिन संकरा रास्ता होने की वजह से अथक प्रयासों के बावजूद भी इन अनमोल जिंदगियों को बचाया नहीं जा सका. मृतकों के परिवारजनों को ₹4-4 लाख की आर्थिक सहायता राशि प्रदान करने के निर्देश दिए हैं. परमपिता परमात्मा से दिवंगतों की पुण्यात्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान देने व शोकाकुल परिजनों को यह वज्रपात सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं.”

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