महाभारत के 5 गाँवों में जिसका जिक्र, वहाँ से मिलीं 4000 साल पुरानी चीजें: ASI को ताम्रपाषाण सभ्यता के मिले सबूत, सिनौली के पास ही हुई है खुदाई

उत्तर प्रदेश के बागपत में लगभग 4 हजार साल पुराने अवशेष खुदाई में मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने बताया है कि यह अवशेष ताम्रपाषाण काल के हैं। ASI को बागपत में हुई इस खुदाई में जमीन में दबे मिट्टी और ताँबे के बर्तन, माला के मनके और नक्काशीदार वस्तुएँ मिली हैं। ASI को यह सफलता 4 महीने की मेहनत के बाद मिली है। यहाँ से मिली वस्तुएँ इस काल की सभ्यता समझने में और सहायक हो सकती हैं। अब इस मामले में और भी अनुसंधान किया जा रहा है। ASI ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में बताया, “बागपत के तिलवाड़ा में 4000 साल पुरानी सभ्यता, ताम्रपाषाण युग की धरोहरें मिलीं।”

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संसद टीवी ने एक ट्वीट में इसी को लेकर बताया, “बागपत जिले के तिलवाड़ा साकिन में ताम्रपाषाण काल की वस्तुएँ मिली हैं, यानि लगभग 4000 वर्ष पुरानी। खुदाई में पुरातत्वशास्त्रियों को मिट्टी के बर्तन, तांबे की वस्तुएँ, ईंट और मनके मिले हैं। ताँबे के एक बड़े चौकोर टुकड़े पर ज्यामितीय आकृतियाँ उकेरी गई हैं।”

तिलवाड़ा में हुई खुदाई

यह खुदाई बागपत के तिलवाड़ा गाँव में हुई है। यह गाँव हरियाणा की सीमा पर है और राजधानी दिल्ली से लगभग 85 किलोमीटर दूर स्थित है। तिलवाड़ा गाँव में खुदाई की शुरुआत दिसम्बर, 2024 के दौरान चालू हुई थी। ASI ने अप्रैल 2025 तक यहाँ लगभग 18 गड्ढे बना कर खुदाई की। इसी में यह सारे अवशेष बरामद हुए हैं।

इस खुदाई में मिले अवशेष अब मेरठ ले जाए जा रहे हैं। वहाँ अब देश के नामी पुरातत्वविद इस पर अनुसंधान करने वाले हैं। इन अवशेषों को यहाँ से समेटने के पहले ASI ने इस पर शुरूआती जाँच की थी। इससे इस बात की पुष्टि हुई थी कि जहाँ खुदाई हुई है, वह लगभग 4 हजार साल पुराना एक शवाधान केंद्र था।

यहाँ ASI को एक ताबूतनुमा आकृति भी मिली है, इस पर नक्काशी उकेरी हुई है। ताबूत तांबे का बना हुआ था। उसका तांबा सुरक्षित नहीं रहा लेकिन नक्काशी अब भी मौजूद है। ASI इसे सबसे बड़ी खोज मानती है। इसी कथित ताबूत के साथ मिट्टी के बर्तन रखे हुए थे।

यह मिट्टी के बर्तन सुराही के आकार में हैं। इनके साथ पुरानी ईंटे मिली हैं। इन सबके अलावा बाकी जो बर्तन और बनावटें मिली हैं, उनसे स्पष्ट हुआ है कि यह क्षेत्र एक शवाधान केंद्र था। इतिहासकार मानते हैं कि यहाँ शव दबाए जाते थे। हालाँकि, यहाँ कोई मानव कंकाल नहीं मिला है।

ग्रामीणों को मिलना चालू हुए थे अवशेष

यहाँ खुदाई से पहले ग्रामीणों को अवशेष मिलना चालू हुए थे। यह अवशेष उन्होंने ASI को दिए थे। ASI के अधिकारियों को इसके चलते उत्सुकता जगी थी। उन्होंने यहाँ खुदाई की अनुमति माँगी थी। यह अनुमति 2023 में मिली थी। इसके बाद दिसम्बर, 2024 में काम चालू हुआ लेकिन होली के मौके पर रुक गया।

इसके बाद दोबारा काम चालू किया गया। तब अवशेष समेटे गए। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, तिलवाड़ा में यह खुदाई के 3 बीघे के खेत में हुई है। यह खेत एक श्मशान के पास मौजूद है। जहाँ खुदाई हुई है, यह खेत बाकी से लगभग 6 फीट ऊँचाई पर है। ASI को यहाँ बड़ी सफलता 18 में से 2 गड्ढों में ही मिली है।

सिनौली से नजदीक है यह गाँव

बागपत का यह तिलवाड़ा गाँव उस सिनौली के पास मौजूद है, जहाँ ASI को खुदाई में 100 से अधिक मानव कंकाल मिले थे। सिनौली में वर्ष 2005 में ASI के अधिकारी डॉ. डीबी शर्मा ने खुदाई शुरू कराई थी। सिनौली में जो कंकाल मिले थे, 3 हजार साल से अधिक पुराने थे।

सिर्फ शव ही नहीं यहाँ से रथ, मुकुट और बाकी बर्तन समेत हथियार भी मिले थे। सिनौली की सबसे बड़ी खोज रथ ही थी, इसने सिद्ध किया था कि भारत में 4 हजार वर्ष पूर्व भी राहत और युद्ध का प्रचलन था। इसे महाभारत से जोड़ कर भी देखा गया था।

गौरतलब है कि बागपत को भी महाभारत के उन पाँच गाँव में से माना जाता है, जो पांडवों ने बसाए थे। बागपत के अलावा सोनीपत, पानीपत, इन्द्रप्रस्थ और तलपत बताए गए हैं। तिलवाड़ा गाँव के रहने वाले पहले भी यहाँ से चीजें मिलने की बातें बताते हैं। अब पुरातत्व विज्ञानी इस मामले में और तथ्य निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

 

 

 

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