सिंधिया राजघराने से जुड़े 40 हजार करोड़ के संपत्ति विवाद में अब आखिरकार राजीनामा होने जा रहा है। न्यायालय में लगभग 15 साल से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआओं (वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और ऊषा राजे) और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच विवाद चल रहा है। इस मामले में अब सभी पक्ष आपसी राजीनामे से संपत्ति का बंटवारा करने के लिए तैयार हैं।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने ज्योतिरादित्य और उनकी तीनों बुआओं को सहमति से विवाद सुलझाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने उन्हें आगामी 60 दिन में राजीनामे का आवेदन कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है। वहीं 90 दिन के भीतर संपत्ति के विवाद को सुलझाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद कंप्लाइंस रिपोर्ट कोर्ट में पेश करना होगी। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो कोर्ट ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा है कि उक्त याचिका को फिर से बहाल कर दिया जाएगा।
ये है मामला
सिंधिया राजघराने की संपत्ति को लेकर कानूनी विवाद वर्ष 2010 में शुरू हुआ। राजमाता विजयाराजे सिंधिया की बेटियों वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और ऊषा राजे ने अपने भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ अदालत में दावा पेश किया। उनकी दलील थी कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का भी बराबरी का अधिकार है। दूसरी ओर ज्योतिरादित्य ने भी इस संपत्ति पर अपना अधिकार जताया। मामला पहले जिला अदालत में चला, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद वर्ष 2017 में यह ग्वालियर हाईकोर्ट पहुंचा। यहां इसे सिविल रिवीजन के रूप में दर्ज किया गया।
40 हजार की संपत्ति में यह शामिल
सिंधिया परिवार का 12.40 लाख वर्गफीट में बना जयविलास पैलेस है, जिसकी कीमत लगभग 10 हजार करोड़ रुपये है। आजादी के समय के सिंधिया परिवार के 100 से अधिक कंपनियों के शेयर थे। शिवपुरी में माधव विलास पैलेस, हैप्पी विलास और जार्ज कैसल कोठी जैसी संपत्तियां हैं। उज्जैन में कालियादेह पैलेस। दिल्ली में ग्वालियर हाउस, राजपुर रोड पर एक प्लाट और सिंधिया विला। पुणे में पद्म विलास पैलेस, वाराणसी में सिंधिया घाट और गोवा में विठोबा मंदिर सहित अन्य संपत्तियां भी हैं जिनका बंटवारा होना है।