छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की हमर लैब योजना में हुए 411 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोपी कारोबारी की जमानत अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह संगठित आर्थिक अपराध है, जिससे राज्य सरकार को 411 करोड़ रुपए के नुकसान होने की आशंका है।
आरोपी मोक्षित कंपनी के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा ने बंद सिस्टम वाले उपकरण सप्लाई कर एकाधिकार बनाया। उसे जमानत देने से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलेगा और समाज में गलत संदेश जाएगा।
मेडिकल उपकरणों और रीएजेंट की खरीदी
दरअसल, साल 2021 में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के विभिन्न जिलों में हमर लैब योजना शुरू की थी, जिसके तहत मेडिकल उपकरणों और रीएजेंट की भारी मात्रा में खरीदी की। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बिना बजट और प्रशासनिक स्वीकृति के उपकरणों की अनावश्यक खरीद की।
जब यह घोटाला सामने आया, तब इसकी जांच कराई गई, जिसमें गड़बड़ी करने के कई गंभीर आरोप लगे। जिसके बाद इस मामले की जांच का जिम्मा एसीबी को दिया गया। एसीबी ने मामला दर्ज किया और छापेमारी की।
कई गुना अधिक दर पर खरीदे गए उपकरण
FIR के अनुसार सप्लाई करने वाली कंपनियों में मोक्षित कॉर्पोरेशन, सीबी कॉर्पोरेशन, मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज आदि को अनुचित लाभ पहुंचाने की मंशा से उपकरण और रीजेंट वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक दर पर खरीदे गए।
मनमाने कीमतों पर की गई खरीदी
गड़बड़ी में EDTA ट्यूब 2352 रुपए पर खरीदी गई। जबकि ये मार्केट में 8.50 रुपए में उपलब्ध था। इसी तरह CBC मशीनें जो खुले बाजार में 5 लाख रुपए में उपलब्ध थीं, वह 17 लाख रुपए में खरीदी गई।
मोक्षित कॉर्पोरेशन को मिला था टेंडर
सामान सप्लाई का टेंडर मोक्षित कॉर्पोरेशन को मिला था। फर्म को मशीनों और रीजेंट की सप्लाई का टेंडर मिला था। जांच कर रही एजेंसी का कहना है कि आरोपी शशांक चोपड़ा ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर निविदा शर्तों में हेरफेर कर मनचाही कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया।
आरोपी ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर कई फर्जी कंपनियां बनाकर 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल बनाए। साथ ही, क्लोज सिस्टम वाली मशीनों की सप्लाई कर यह सुनिश्चित किया गया कि भविष्य में केवल उन्हीं की कंपनी से रीएजेंट की सप्लाई की जा सके।
मोक्षित कंपनी के डायरेक्टर ने लगाई जमानत अर्जी
एसीबी ने इस मामले की जांच के दौरान छापेमारी की। जिसके बाद मोक्षित कंपनी के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया गया। शशांक चोपड़ा ने पहले एसीबी की ट्रॉयल कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई थी, जिसके खारिज होने के बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की, जिसमें बताया गया कि इस केस में उन्हें षडयंत्र के तहत फंसाया गया है। लिहाजा, जमानत दी जाए।
राज्य सरकार ने कहा- गंभीर अपराध
राज्य सरकार की तरफ से जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि यह गंभीर और सुनियोजित आर्थिक अपराध है, जिसमें सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपी मास्टरमाइंड है जिसने निविदा प्रक्रिया को प्रभावित कर नियमों के विरुद्ध अपने पक्ष में एग्रीमेंट करा लिया था।
अभी तक मामले में शामिल रहे कई सरकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी होनी बाकी है। आरोपी को जमानत मिलने से सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बनी रहेगी।
हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी के साथ खारिज की जमानत अर्जी
हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि, यह न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि समाज के खिलाफ एक गंभीर अपराध भी है। अगर इस स्तर पर जमानत दी गई, तो यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला संदेश होगा।
आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सह आरोपी राजेश गुप्ता की गिरफ्तारी पर रोक का हवाला देते हुए समानता के आधार पर जमानत मांगी थी। लेकिन, हाईकोर्ट ने कहा कि चोपड़ा की भूमिका मुख्य आरोपित की है और वह इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड है।