केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने देश के युवाओं को नौकरी को लेकर खुशखबरी शेयर की है. उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्र में अगले कुछ सालों में पांच लाख नई नौकरियों का सृजन होने वाला है. उन्होंने बताया कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बदलाव के चलते यह मौका मिलने वाला है. किशन रेड्डी ने ओडिशा के कोणार्क में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. किशन रेड्डी ने कहा, कोयला क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 2 प्रतिशत का योगदान देता है.
हालांकि बिजली उत्पादन में कोयले का उपयोग अब काफी कम हो गया है. लिहाजा इस बाबत किशन रेड्डी ने राज्यों को कौशल विकास और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी कहा है. उन्होंने कहा कि देश को प्रति वर्ष 2 अरब टन कोयले की जरूरत है और मांग 2040 तक अपने चरम पर पहुंच जायेगी.
कोयला उत्पादन 76 प्रतिशत बढ़ा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि थर्मल पावर की 72 प्रतिशत मांग पूरी हो चुकी है. 2014 की तुलना में कोयला उत्पादन 76 प्रतिशत बढ़ गया है और 2024 तक 997 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा. सरकार का लक्ष्य 2030 तक 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पादन करने का है. घरेलू कोयला उत्पादन का मूल्य करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये है.
किशन रेड्डी ने कहा कि सरकार ने 2030 तक 100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण हासिल करने के लक्ष्य के साथ 8,500 करोड़ रुपये की लागत से कोयला गैसीकरण परियोजना शुरू की है. राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट ने खनिज अन्वेषण को बढ़ावा देने के लिए अब तक 329 परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है. किशन रेड्डी ने राज्यों से खनिज अन्वेषण को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह के ट्रस्ट स्थापित करने के लिए धन का उपयोग करने को कहा.
उन्नत तकनीक के साथ खनन निगरानी प्रणाली
किशन रेड्डी ने कहा कि केंद्र ने अवैध खनन को रोकने के लिए उन्नत तकनीक के साथ खनन निगरानी प्रणाली शुरू की है और इसे रोकने के लिए राज्यों से सहयोग मांगा है. उन्होंने बताया कि 2015 में जहां खनन परिवहन बोली से 55,636 करोड़ रुपये मिले, वहीं 2024 में राज्यों को रॉयल्टी के रूप में 2.69 लाख करोड़ रुपये मिले.
केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने उम्मीद जताई कि देश जल्द ही प्रमुख खनिजों की खोज में वैश्विक नेता बन जाएगा और देश खनिज प्राप्त करने के लिए वैश्विक बोलियों में भाग ले रहा है.