गणतंत्र दिवस के दिन मध्य प्रदेश की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई की गई. सतना केंद्रीय जेल से कुल 13 कैदियों की रिहाई हुई है. इनमें से 5 रिहा किए गए कैदी एक ही परिवार के सदस्य हैं, जो कि हत्या के आरोप में जेल में सजा काट रहे थे. इन पांचों ने 18 साल से ज्यादा की सजा जेल के अंदर काटी. जेल से रिहाई के बाद सभी कैदी बहुत खुश हैं.
रिहा हुए 13 कैदियों को श्रीफल, श्रीमद्भगवद्गीता, लंच पैकेट, बंदी पारिश्रमिक पासबुक और रिहाई प्रमाण पत्र दिया गया. साथ ही जेल अधीक्षक लीना कोष्टा ने बंदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और अपने शेष जीवन को सदमार्ग पर ले जाने की प्रेरणा दी. उन्होंने बंदियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं.
पहले तो शासन द्वारा 14 बंदियों को रिहा करने की योजना थी, लेकिन एक बंदी की अपील वापस न लेने के कारण उसकी रिहाई नहीं हो सकी.
क्यों हुई 13 कैदियों की रिहाई?
26 जनवरी को रिहा हुए बंदियों में सतना जिले के 2, पन्ना जिले के 2, छतरपुर जिले के 8 और महो जिले का 1 बंदी शामिल था. रिहा हुए 13 बंदियों में 5 बंदी एक ही परिवार से हैं. पांचों को साल 2008 में उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. अब 18 साल 10 महीने की सजा काटने के बाद सभी को रिहाई मिली है. इनका नाम सोहनलाल अहिरवार उम्र 38 वर्ष, राजेश अहिरवार (48), मनोज अहिरवार उम्र (46), मैयादीन अहिरवार उम्र (64) और भरोसा अहिरवार (65) है. ये छतरपुर जिले के जुझार नगर थाना क्षेत्र के खेराकसार गांव निवासी हैं.
2008 में हुई थी पांचों को जेल
इन्होंने 15 मार्च 2006 को तीन एकड़ जमीन के विवाद में अपने एक चचेरे भाई समेत परिवार के 3 लोगों की लाठी-डंडे और फावड़े से हत्या कर दी थी. घटना के 2 साल बाद नवंबर 2008 में कोर्ट ने पांचों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि बाद में अपराधियों के वकील की पिटीशन पर हाईकोर्ट ने एक राज्यस्तरीय जांच कमेटी गठित की थी. विगत दो माह पहले राज्य स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कैदियों को सजा में छूट का लाभ मिला. जिसके चलते उन्हें 18 साल 10 माह के बाद आजादी मिली है.