छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर 5 लोगों से 37.67 लाख रुपये की ठगी कर ली। आरोपियों ने खुद को मंत्रालय में ऊपर तक पहुंच बताकर उन्हें नौकरी का झांसा दिया और लाखों रुपये ऐंठ लिए। पुलिस ने रायपुर और बलौदाबाजार से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
इस तरह से रचा गया ठगी का जाल
यह मामला गंडई थाना क्षेत्र का है। पांडातराई निवासी संतोष देवांगन वर्ष 2022 में स्वास्थ्य विभाग की जीवन दीप समिति में कार्यरत थे और कोषाध्यक्ष के रूप में रायपुर संगठन से पंजीयन कार्य के सिलसिले में रायपुर गए थे। वहीं उनकी मुलाकात बिशेसर ध्रुव से हुई। बिशेसर ने बताया कि मंत्रालय में मेरी ऊपर तक पहुंच है। उसने सरकारी नौकरी दिलाने का वादा किया। बिशेसर ने लेबर इंस्पेक्टर की नौकरी के लिए 20 रुपये लाख, शिक्षक के लिए 15 रुपये लाख और चपरासी के लिए 8 रुपये लाख की मांग रखी।
संतोष ने यह बात अपने परिवार और रिश्तेदारों को बताई। इसके बाद उनकी बहन संजू देवांगन, रिश्तेदार विद्या, त्रिलोक और विवेक देवांगन भी इस झांसे में आ गए। 25 दिसंबर 2022 को संजू के घर पर सभी की मुलाकात बिशेसर से हुई। उसने सभी को छह महीने में नौकरी लगवाने का आश्वासन दिया। इसके बाद पीड़ितों ने अलग-अलग किश्तों में बिशेसर और उसके साथी भुवनेश देवांगन को पैसे दिए।
ऑनलाइन और कैश दी ठगी की रकम
संतोष ने 11.67 लाख, संजू ने 4 लाख, विद्या ने 11.5 लाख, त्रिलोक ने 8.5 लाख और विवेक ने 2 लाख रुपये दिए। कुछ राशि ऑनलाइन और कुछ नकद रूप में गंडई, रायपुर और धमधा में दी गई।
चेक भी निकले फर्जी, न नौकरी मिली न पैसा
समय बीतने के बाद जब लोगों ने नौकरी को लेकर पूछताछ की तो आरोपी टालमटोल करने लगा। संतोष ने जब पैसा वापस मांगा, तो बिशेसर ने 10 लाख रुपये और 3.5 लाख रुपये के दो चेक दिए। वहीं भुवनेश ने 2 लाख रुपये का चेक दिया। लेकिन ये सभी चेक बाउंस हो गए और कोई रकम नहीं मिली।
शिकायत के बाद पुलिस ने की कार्रवाई
इसके बाद 27 अप्रैल 2025 को संतोष ने गंडई थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद थाना गंडई और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने दोनों आरोपियों को रायपुर और बलौदाबाजार से गिरफ्तार किया।
एक आरोपी पहले भी रह चुका है गिरफ्तार
जांच में सामने आया कि भुवनेश देवांगन पूर्व में भी बीजापुर के भैरमगढ़ थाने में 38 रुपये लाख की ठगी के मामले में गिरफ्तार हो चुका है और वर्तमान में जमानत पर बाहर था। उस मामले में भी उसने सरकारी नौकरी का झांसा देकर पैसे ठगे थे।
दोनों आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है। खैरागढ़ पुलिस अब इस पूरे रैकेट की गहराई से जांच कर रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि और कितने लोग इस गिरोह का शिकार बने हैं।