9 मई 2025 को केंद्र सरकार ने भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र दि्वेदी को प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के प्रत्येक अधिकारी और प्रत्येक भर्ती व्यक्ति को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने या नियमित सेना का समर्थन और पूरक बनने की शक्तियां प्रदान कीं.
यह निर्णय भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में लिया गया, जिसके तहत भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सटीक सैन्य कार्रवाइयां कीं. यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और आपातकालीन परिस्थितियों में सेना की तत्परता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
केंद्र सरकार ने 9 मई 2025 को एक अधिसूचना जारी कर भारतीय सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना नियमों के तहत विशेष शक्तियाँ प्रदान कीं. इस अधिसूचना के अनुसार, सेना प्रमुख अब प्रादेशिक सेना के सभी अधिकारियों और जवानों को निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए बुला सकते हैं.
आवश्यक सुरक्षा प्रदान करना: रणनीतिक स्थानों, बुनियादी ढांचे और संदेनशील क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना.
नियमित सेना का समर्थन और पूरक बनना: युद्ध, आपदा या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में नियमित सेना की क्षमता को बढ़ाना.
यह निर्णय भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. 22अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर-1 के तहत 7 मई को पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया.
इसके जवाब में पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात को भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले की कोशिश की, जिसे भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने नाकाम कर दिया. इस तनाव वाली स्थिति में प्रादेशिक सेना को सक्रिय करने का निर्णय भारत की सैन्य तत्परता को दर्शाता है.
प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) का परिचय
प्रादेशिक सेना भारत की सशस्त्र सेनाओं का एक स्वैच्छिक, अंशकालिक नागरिक बल है, जिसे 1949 में टेरिटोरियल आर्मी एक्ट के तहत स्थापित किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य नियमित सेना को युद्ध, आपदा या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में सहायता प्रदान करना है. प्रादेशिक सेना में शामिल जवान और अधिकारी सामान्य नागरिक जीवन जीते हैं, लेकिन समय-समय पर सैन्य प्रशिक्षण और ड्यूटी के लिए बुलाए जाते हैं.
प्रादेशिक सेना की प्रमुख विशेषताएं
संरचना: प्रादेशिक सेना में पैदल सेना, इंजीनियरिंग, सिग्नल्स और रसद जैसे विभिन्न विभाग शामिल हैं. इसमें इकाइयां जैसे इन्फैंट्री बटालियन, इकोलॉजिकल टास्क फोर्स और रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट शामिल हैं.
भर्ती: 18 से 42 वर्ष की आयु के नागरिक, जो शारीरिक और मानसिक रूप से फिट हों, प्रादेशिक सेना में भर्ती हो सकते हैं. इसमें पुरुष और महिलाएँ दोनों शामिल हैं.
प्रशिक्षण: प्रादेशिक सेना के जवानों को नियमित सेना के समान प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें हथियार चलाने, युद्ध रणनीति, और आपदा प्रबंधन शामिल हैं।
उपयोग: प्रादेशिक सेना को 1962, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में तैनात किया गया था. यह आतंकवाद विरोधी अभियानों, आपदा राहत और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देती है.
प्रादेशिक सेना की हालिया भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर: प्रादेशिक सेना को ऑपरेशन सिंदूर के तहत तैनाती के लिए तैयार रहने का आदेश दिया गया
आपदा प्रबंधन: हाल के वर्षों में, प्रादेशिक सेना ने बाढ़, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पर्यावरण संरक्षण: इकोलॉजिकल टास्क फोर्स ने वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया है.
केंद्र के निर्णय का रणनीतिक महत्व
केंद्र सरकार का यह निर्णय कई कारणों से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है…
सैन्य तत्परता बढ़ाना: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच, प्रादेशिक सेना की तैनाती नियमित सेना की क्षमता को बढ़ाएगी. यह विशेष रूप से नियंत्रण रेखा (LoC), सियाचिन, और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में उपयोगी होगी. प्रादेशिक सेना के जवान नियमित सेना के साथ मिलकर रणनीतिक स्थानों की सुरक्षा, गश्त और आतंकवाद विरोधी अभियानों में योगदान दे सकते हैं.
नागरिक-सेना एकीकरण: प्रादेशिक सेना नागरिकों को सैन्य सेवा से जोड़ती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा में जनता की भागीदारी बढ़ती है. यह निर्णय नागरिकों में देशभक्ति और जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करेगा.
आपातकालीन स्थिति में लचीलापन
युद्ध, आतंकवादी हमले, या प्राकृतिक आपदा जैसी आपातकालीन परिस्थितियों में प्रादेशिक सेना एक अतिरिक्त बल के रूप में कार्य कर सकती है. यह नियमित सेना को प्रमुख युद्ध अभियानों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देगा. प्रादेशिक सेना की तैनाती से भारत की रक्षा प्रणाली में लचीलापन बढ़ेगा.
आर्थिक और सामाजिक लाभ
प्रादेशिक सेना के जवानों को नियमित वेतन और लाभ मिलते हैं, जो उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है. यह युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करता है, जिससे सामाजिक विकास को बढ़ावा मिलता है.
ऑपरेशन सिंदूर और प्रादेशिक सेना की संभावित भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति का एक हिस्सा है, जिसके तहत 7 मई 2025 को नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया. इसके बाद, 8 मई को भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला किया, जिसे ऑपरेशन सिंदूर-2 का हिस्सा माना जा रहा है.
प्रादेशिक सेना की तैनाती निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हो सकती है…
नियंत्रण रेखा (LoC) पर सुरक्षा: प्रादेशिक सेना की इन्फैंट्री बटालियन LoC पर गश्त, निगरानी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहायता कर सकती हैं.
आंतरिक सुरक्षा: संवेदनशील क्षेत्रों, जैसे रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में प्रादेशिक सेना की भूमिका होगी.
आपदा प्रबंधन: यदि युद्ध या हमले के कारण नागरिक क्षेत्रों में आपात स्थिति उत्पन्न होती है, तो प्रादेशिक सेना राहत और बचाव कार्यों में योगदान दे सकती है.
लॉजिस्टिक्स और समर्थन: प्रादेशिक सेना की रेलवे और इंजीनियरिंग इकाइयां सेना की आपूर्ति और बुनियादी ढांचे के रखरखाव में सहायता कर सकती हैं.